भोपाल: मध्यप्रदेश में आगामी कुछ दिनों 3 विधानसभा और 1 लोकसभा सीट पर उपचुनाव होने हैं, जिसके मद्देनजर चुनावी पारा तेजी से चढ़ रहा है। इन उपचुनावों को मिशन 2023 का सेमीफाइनल माना जा रहा है। लिहाजा बीजेपी और कांग्रेस ने अपनी कमर कस ली है। खास तौर पर जनता का आशीर्वाद मांगने बीजेपी ने जन आशीर्वाद यात्रा शुरू की है। केंद्र सरकार के 3 नए मंत्री एमपी के अलग-अलग क्षेत्र में जनता से आशीर्वाद मांगेगे। सिंधिया ने मालवा-निमाड़ का रुख किया है। हालांकि कांग्रेस यात्रा को चंदा वसूली यात्रा बता रही है। अब सवाल ये है कि जन आशीर्वाद यात्रा से बीजेपी को चुनाव में फायदा मिलेगा?
मध्यप्रदेश में केंद्रीय नेताओं की जन आशीर्वाद यात्रा जोर-शोर से चल रही है। केंद्रीय मंत्री एसपीएस बघेल ग्वालियर चंबल के इलाके में लोगों से आशीर्वाद मांग रहे है तो ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मालवा का रुख किया है। सिंधिया 3 दिन के इस दौरे में चार जिले और चार लोकसभा के 78 कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे जबकि 19 अगस्त से अपनी यात्रा का आगाज कर वीरेंद्र खटीक 24 तारीख को टीकमगढ़ में यात्रा का समापन करेंगे। बीजेपी की जन आशीर्वाद यात्रा पर कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने ट्वीट किया है कि लोकतंत्र ख़तरे में है और मोदी शाह सरकार के मंत्री “आशीर्वाद” यात्रा निकाल रहे हैं, किस बात का आशीर्वाद? देश को बर्बाद करने का? आशीर्वाद यात्रा नहीं है चंदा वसूली यात्रा है,इसका देश में विरोध होना चाहिए। दरअसल कांग्रेस की कोशिश है कि बीजेपी का हर स्तर पर विरोध किया जाए ताकि अगले कुछ दिनों में होने वाले उपचुनावों में बीजेपी से बढ़त ली जा सके।
बीजेपी के मुताबिक इन आशीर्वाद यात्रा के जरिए वो मोदी सरकार के नए मंत्रियों का परिचय जनता से करवाना चाहती है जो संसद में हंगामे के कारण नहीं हो पाया था। लेकिन यदि रणनीतिक तौर पर देखा जाए तो इसके कई मायने हैं। केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक को बुंदेलखंड और महाकौशल में एससी एसटी वर्ग को साधने के लिए मैदान में उतारा है। यूपी के आगरा से सांसद एसपीएएस बघेल को ग्वालियर चंबल इलाके में ओबीसी वर्ग में को साधने के लिए यात्रा की कमान सौंपी गई है। बघेल के ग्वालियर चंबल अंचल में ओबीसी वर्ग के बड़े नेताओं से काफी गहरे रिश्ते। सिंधिया के समर्थकों की बड़ी संख्या मालवा निमाड़ में, पार्टी इसका फायदा सिंधिया को मालवा निमाड़ में दौरा करवा कर उठाना चाहती है। ऐसे में जब पार्टी 2023 के विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनाव के हिसाब से जमावट कर रही हो यदि कांग्रेस सवाल खड़े करे तो वो जवाब देने से कैसे बच सकती है।
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मध्यप्रदेश में इस वक्त दोनों ही पार्टियों की नजर 3 विधानसभा और 1 लोकसभा सीट के उपचुनाव पर है। लिहाजा यहां न सिर्फ जातिगत कॉर्ड खेले जा रहे हैं साथ ही ये कोशिश भी जा रही है कि पार्टी के अंदर संतुलन बना रहे ताकि उपचुनावों में किसी तरह का खामियाजा न उठाना पड़े।