Face To Face Madhya Pradesh भोपाल। पूरे पांच साल विकास की दुहाई देते हैं, बदलाव होने का दावा करते हैं लेकिन चुनाव करीब आते ही जाति का कार्ड खेलते हैं। इसमें कोई दोराय नहीं है कि चुनाव एक ऐसा अवसर होता है जब देश में केवल एक ही पहचान रहती है..एक वोटर और कैंडिडेट की। पर उससे पहले अपने फायदे के लिए धर्म जाति, भाषा, क्षेत्र, समुदाय में बांटने की कोशिश क्यों की जाती है। सवाल ये भी है कि चुनाव से पहले जाति क्यों याद आती है। इसलिए आज हम जाति का दांव और दावा। ओबीसी हितैषी का दिखावा क्यों?
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