भोपाल: मध्यप्रदेश में आज विधानसभा का मानसून सत्र शुरु हआ, लेकिन आदिवासियों के नाम हंगामे की भेंट चढ़ गया। विश्व आदिवासी दिवस पर अवकाश घोषित नहीं करने पर कांग्रेस ने जमकर नारेबाजी की कांग्रेस नेताओं ने विधानसभा के बाहर जाकर भी नारेबाजी की। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि सरकार ने आदिवासियों का अपमान किया। कांग्रेस के आरोपों पर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस घड़ियाली आंसू बहा रही है। उन्होंने ये भी कहा कि बीजेपी से बड़ी आदिवासी हितैषी पार्टी कोई नहीं। अब सवाल ये है कि आदिवासियों का सच्चा हितैषी कौन है?
मानसून सत्र के पहले दिन आदिवासी दिवस को लेकर सदन में जमकर हंगामा हुआ। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार आदिवासी विरोधी है, इसलिए आदिवासी दिवस पर छुट्टी घोषित नहीं किया। कांग्रेस विधायकों ने आसंदी के सामने आकर विरोध प्रदर्शन किया और जमकर नारेबाजी की, जिसपर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कांग्रेस आदिवासियों के मामले में भ्रम फैला रही है। कांग्रेस श्रद्धांजलि में भी राजनीति कर रही है.. ये शर्मनाक और घटिया है। मुख्यमंत्री ने कहा. सरकार ने आदिवासी दिवस पर अवकाश निरस्त नहीं किया है, बल्कि ये ऐच्छिक है।
Read More: विधि विधान से निकली बाबा महाकाल की सवारी, शिवालयों में गूंजा ‘हर हर महादेव’
विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही जब विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम जनप्रतिनिधियों के निधन पर बोल रहे थे, तब कांग्रेस विधायक आसंदी के सामने आ गए और सरकार विरोधी नारे लगाए। इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष ने विधायकों से कई बार कहा कि वे अपनी सीट पर बैठें, उनकी बात सुनी जाएगी, लेकिन कांग्रेस विधायक नहीं माने। करीब 25 मिनट बाद कांग्रेस विधायकों ने सदन से वॉकआउट कर दिया। नाराज कांग्रेस के आदिवासी विधायकों ने विधानसभा परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने प्रदर्शन किया।
Read More: महज 35 साल की उम्र में नामी एक्ट्रेस का निधन, कई साल से ब्रेन ट्यूमर से थीं पीड़ित
मध्यप्रदेश की सियासत में इस समय केंद्र बिंदु आदिवासी है। संघ के एजेंडे में आदिवासियों को लेकर जो प्राथमिकता देखने को मिल रही है। इसके बाद सत्तारूढ़ बीजेपी के लिए कांग्रेस के आरोप का तगड़ा जबाब देना जरूरी था। लिहाजा हंगामे के बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एलान किया कि 15 नवंबर को आदिवासी नायक बिरसा मुंडा की जयंती पर सरकार आदिवासी गौरव दिवस मनाएगी। साथ ही सरकारी अवकाश भी घोषित किया जाएगा। सरकार के इस एलान के बाद भी कांग्रेस इस मुद्दे पर सदन से बाहर आदिवासियों के बीच जाने की तैयारी में है। ऐसे में देखना होगा की सदन की ये लड़ाई सड़क पर कितनी कारगार साबित होती है?