भोपालः 7 साल बाद मध्यप्रदेश के 11 शहरों को नई सरकार मिली। इस बार नतीजों ने अपना भूगोल बदला है। इन परिणामों से जो संदेश निकल रहा है वो इतना सरल भी नहीं है, बल्कि उसमें सवालों की गूंज है। खासकर आम आदमी पार्टी और AIMIM की दमदार एंट्री ने प्रदेश की सियासत में सबको चौंकाया। हालांकि बीजेपी 11 में से 7 सीटें जीतने को ही बड़ी कामयाबी मान रही है। वहीं कांग्रेस भी अपने प्रदर्शन से खुश है। फिलहाल नतीजों की समीक्षा जारी है। दरअसल निकाय चुनाव को 2023 के विधानसभा चुनाव का लिटमस टेस्ट माना जा रहा था। ऐसे में जीत का पैटर्न क्या कहता है। नतीजों से किसे क्या सबक मिला?
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नतीजे आने के बाद सभी पार्टियां जीत का जश्न मना रही है। आंकड़ों पर नजर डाले तो प्रदेश के 11 नगर निगमों में से 7 में बीजेपी, 3 में कांग्रेस और 1 पर आम आदमी पार्टी ने कब्जा जमाया है। पहली नजर में नतीजे बीजेपी के हक में दिखाई दे, लेकिन सियासी तौर पर देखें, तो बीजेपी को नुकसान और कांग्रेस को फायदा हुआ है। भोपाल-इंदौर जैसे गढ़ को बचाने में बीजेपी सफल रही है लेकिन उज्जैन और बुरहानपुर में बाउंड्री पर आकर जीती है। ग्वालियर और जबलपुर में बीजेपी की हार और सिंगरौली में आप का उलटफेर कई सवाल खड़े कर रहा है। 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी के लिए अलार्मिंग साइन है। जो जश्न से ज्यादा बीजेपी को मंथन करने का सन्देश दे रही है।
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दूसरी ओर कांग्रेस छिंदवाड़ा, ग्वालियर और जबलपुर सीट जीतकर कांग्रेस बेहद उत्साहित है। लेकिन कांग्रेस के लिए भी नतीजे ज्यादा खुश होने वाले नहीं माने जा सकते। कांग्रेस ने अपने तीन विधायकों को मेयर की कुर्सी पर कब्जा करने इंदौर, सतना और उज्जैन में मौका दिया था। लेकिन तीनों ही खाली हाथ लौटे। जो 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की टेंशन जरूर बढ़ाएगी। साथ ही AIMIM ने जिस तरह से बुरहानपुर और खंडवा में कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया है। आने वाले समय में कांग्रेस की चुनौती कम नहीं है। हालांकि ग्वालियर में 57 साल बाद और जबलपुर में 18 साल बाद मिली सफलता कांग्रेस के लिए टॉनिक का काम करेगी।
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बहरहाल निकाय चुनाव के पहले चरण के नतीजे बीजेपी और कांग्रेस दोनों को सोचने पर मजबूर करेगा। क्योंकि 2023 के सियासी महासंग्राम के लिए अब ज्यादा समय नहीं है। निकाय में जिस तरह से आम आदमी पार्टी और AIMIM की धमाकेदार एंट्री हुई है। उसने भी शहरों का भूगोल दिया है। क्या निकाय के नतीजे 2023 के विधानसभा चुनाव में सियासी गणित को बदलेगा>