भोपाल: meeting politics राजनीति में हर वक्त नए समीकरणों का बनना या पुराने समीकरणों का बिगड़ना कोई नई बात नहीं है और इसे लेकर अटकलों का बाजार तब और गर्म होता है जब नेताओँ के बीच मेल-मुलाकात का दौर शुरू होता है। कुछ यही हाल मध्यप्रदेश की सियासत का भी है। दरअसल तमाम उठापटक और सियासी बयानबाजी के बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान और दिग्विजय सिंह की मुलाकात तो हुई, लेकिन जिस तरीके से मामले में कमलनाथ की एंट्री हुई। वो अपने पीछे कई संदेश और सवाल छोड़ गया। सबसे बड़ा सवाल यही कि आखिर तीन दिन तक चले मीटिंग पॉलिटिक्स से किसे क्या हासिल हुआ?
meeting politics वैसे तो सियासी गलियारों में नेताओं का मेल मिलाप और मुलाकात आम बात है। लेकिन मध्यप्रदेश में पिछले 36 घंटे में कई ऐसी तस्वीर सामने आई, जिन्हें लेकर सूबे की सियासत में अटकलों का बाजार गरम हो गया। ना केवल बीजेपी बल्कि कांग्रेस के अंदर भी चर्चाएं शुरू हो गई है। रविवार को जब कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह की मुख्यमंत्री शिवराज से मुलाकात तो हुई, तो उनके साथ पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भी सीएम हाउस पहुंचे. जिसके कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।
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दरअसल दिग्विजय सिंह को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अकेले मिलने का न्यौता दिया था, लेकिन ऐन मौके पर कमलनाथ की भी एंट्री हो गई। हालांकि खुद दिग्विजय सिंह ही कमलनाथ को साथ लेकर सीएम से मुलाकात करने सीएम हाउस गए थे। अब चर्चा ये भी है कि सीएम शिवराज बगैर कमलनाथ के दिग्विजय सिंह से मुलाकात करने के पक्ष में नहीं थे। सो कमलनाथ ही दोनों की मुलाकात का जरिया भी बन गए। जाहिर है इस हाईप्रोफाइल मुलाकात के बाद पार्टी के भीतर फिर कमलनाथ के कद को लेकर बहस छिड़ गई है। दिग्विजय सिंह न सिर्फ विरोधियों के बल्कि अपनों के निशाने पर भी आ गए हैं। कांग्रेस विधायक उमंग सिंघार ने इशारों में दिग्विजय सिंह पर चुटकी लेते हुए ट्वीट किया, जिसके बाद बीजेपी ने भी तंज कसने का मौका नहीं छोड़ा।
ये तस्वीर स्टेट हैंगर की है, जब कमलनाथ छिंदवाड़ा से वापसी कर रहे थे और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान देवास जा रहे थे। जब ये मुलाकात हो रही थी ठीक उसी वक्त दिग्विजय सिंह टेम सुठालिया बांध परियोजना के सैंकड़ों प्रभावितों के साथ सीएम से मिलने की जिद्द पर धरना दे रहे थे। इस तस्वीर के वायरल होने के बाद सियासत ऐसी गरमाई की कमलनाथ को भी सफाई देनी पड़ गई कि आखिर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कमलनाथ से हाथ तो मिलाया लेकिन दिग्गी राजा से दूरी क्यों बनाई। जाहिर है इस घटना के बाद कमलनाथ और शिवराज की दोस्ती पर विरोधी फिर सवाल खड़े कर रहे हैं। पार्टी में कमलनाथ का कद मापा जा रहा है, लेकिन कांग्रेस की तरफ से ये दावा किया जा रहा है कि बीजेपी कांग्रेस के भीतर दरार डालने की कोशिश कर रही है।
बहरहाल मध्यप्रदेश में पिछले तीन दिनों तक चले हाईवोल्टेज पॉलिटिकल ड्रामे से किसको क्या हासिल हुआ? इसकी पिक्चर अभी क्लीयर नहीं है। लेकिन ये ज़रुर तय है कि कांग्रेस में फिर वर्चस्व की जंग तेज़ हो रही है।
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