भोपाल: पेट्रोल-डीजल और घरेलू सिलेंडर की आसमान छूती कीमतों पर एमपी का सियासी पारा फिर चढ़ने लगा है। महंगाई के मुद्दे पर कांग्रेस ने सरकार से विधानसभा सत्र के विशेष सत्र की मांग की है। पूर्व मंत्री गोविंद सिंह ने इसके लिए पत्र भी लिखा है, जिस पर नरोत्तम मिश्रा ने कटाक्ष करते हए कहा कि कांग्रेस की अजीब हालत हो गई है।
राजधानी भोपाल की ये दो घटनाएं बीते एक हफ्ते की है। दो अलग-अलग हादसे, जिसकी वजह आर्थिक तंगी और बेरोजगारी मानी जा रही है। इन दो घटनाओं के बाद अब मध्यप्रदेश कांग्रेस के ये तेवर भी देख लीजिए। बढ़ती महंगाई, पेट्रोल-डीजल-गैस की गगनचुंबी कीमत और बेरोजगारी के खिलाफ कांग्रेस ने जमीन आसमान एक कर दिया है। कांग्रेस के सबसे सीनियर एमएलए डॉ गोविंद सिंह ने तो ये मांग कर दी है कि सरकार बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी मुद्दे पर चर्चा कराने के लिए विशेष सत्र बुलाए। न सिर्फ महंगाई बल्कि ग्वालियर चंबल में बाढ़ की वजह से दाने दाने को मोहताज हुए प्रभावितों के मसले पर चर्चा करने के लिए 5 दिनों का विशेत्र सत्र बुलाने के लिए राज्यपाल और विधानसभा अध्यक्ष को पत्र भी लिखा है।
कांग्रेस ने आरोप लगाते हुए ये भी कहा कि..बीजेपी के राज में कोई सत्र पूरा नहीं चलता है। दरअसल विधानसभा में बीते कुछ सालों से सत्र तय समय से पहले स्थगित हो रहे हैं। जबकि इन सत्रों पर करोड़ों रुपये खर्च होते हैं। विधानसभा का सालाना बजट 100 करोड़ रुपए का होता है। ये राशि जनता के टैक्स की होती है और उम्मीद की जाती है कि सत्र में जनहित के मुद्दों पर सार्थक बहस होगी, लेकिन ऐसा होता नहीं है। सत्तापक्ष और विपक्ष ने इसे राजनीति और सिर्फ हंगामा करने का हॉट स्पॉट बना लिया है। हंगामे के कारण सत्र तय अवधि से पहले ही खत्म कर दिया जाता है। कांग्रेस की सत्र बुलाने की मांग को लेकर नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस अजीब हालत में है, जहां चर्चा करना चाहिए वहां हल्ला करते है और जहां हल्ला करना चाहिए वहां चर्चा करते हैं।
पेट्रोल-डीजल और घरेलू सिलेंडर के लगातार बढ़ते दाम, उस पर आरोप-प्रत्यारोप की लड़ाई के बीच भारत सरकार ने दावा किया है कि जीडीपी में 20 फीसदी का उछाल आया है। इसपर कमलनाथ ने चुटकी लेते हुए ट्वीट किया है कि जीडीपी में रिकोर्ड बढ़ोतरी? G ( गैस ) – 1000 पहुंचने को बेताब D ( डीज़ल ) – 100 पार P ( पेट्रोल ) – 100 पार। अबकी बार जीडीपी बढ़ाने वाली सरकार….? कुल मिलाकर बढ़ती महंगाई पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के अपने-अपने तर्क और दावे हैं, लेकिन सवाल आम जनता का है, उसकी बदहाली का है, उसे राहत कब मिलेगी? कैसे मिलेगी?
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