भोपाल: बीजेपी में सरकार और संगठन स्तर पर की जाने वाली नियुक्तियों को लेकर चल रही हलचल के बीच शिवराज मंत्रिमंडल में भी फेरबदल की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। सीएम शिवराज की लगातार हो रही दिल्ली यात्राओं और बीते दिनों करीब दस घंटे तक प्रदेश बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व और मुख्यमंत्री के बीच चले मंथन को इससे जोड़कर भी देखा जा रहा है। दरअसल केंद्रीय नेतृत्व नहीं चाहता है कि पिछले चुनाव में जो हालात बने इस बार भी पार्टी को फेस करना पड़े। अगर मंत्रिमंडल में किसी तरह का फेरबदल होता है तो पिछली सरकार में मंत्री रह चुके कुछ नेताओं को एक बार फिर से मंत्री बनने का मौका मिल सकता है। अब सवाल ये है कि अगर शिवराज कैबिनेट में छंटनी होती है, तो किन मंत्रियों पर इसकी गाज गिरेगी?
जी हां शिवराज सरकार की चौथी पारी में छंटनी की तैयारी चल रही है। पिछले सवा साल के कार्यकाल में कमजोर प्रदर्शन करने वाले मंत्रियों को गाज गिरनी तय मानी जा रही है। मौजूदा मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड तैयार किया गया है। इसमें करीब आधा दर्जन मंत्री ऐसे पाए गए हैं जिनके कामकाज से सत्ता और संगठन दोनों ही खुश नहीं हैं। हालांकि मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों की वजह से उन्हें हटाना आसान नहीं है, लिहाजा इस बात पर भी मंथन किया गया है कि खराब प्रदर्शन करने वाले मंत्रियों को या तो कम महत्वपूर्ण विभाग जाए या फिर उन्हें हटा दिया जाए। हालांकि मंत्रिमंडल में फेरबदल को बीजेपी नेता सीएम का विशेषाधिकार बता रहे हैं।
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अगर कमजोर प्रदर्शन करने वाले मंत्रियों की छंटनी हुई तो, बीजेपी के कई सीनियर नेताओं के मंत्री बनने का सपना पूरा हो सकता है। इनमें कई ऐसे नाम हैं जो शिवराज सिंह के करीबी होने और मंत्री पद के मजबूत दावेदार होने के बाद भी मंत्री नहीं बन सके हैं। लेकिन बीजेपी को ये डर भी सता रहा है कि मंत्रिमंडल से हटाए गए मंत्रियों में असंतोष फैल सकता है ऐसे में उन्हें किसी निगम मंडल में एडजस्ट करने पर भी मंथन किया गया है। इस सूची में सिंधिया के दो समर्थक और मूल बीजेपी वाले चार मंत्रियों के नाम शामिल हैं। अगर किन्हीं कारणों के पुअर परफॉर्मर मंत्रियों को हटाना संभव नहीं हो पाया तो उनके विभाग बदलना तय है। बहरहाल सवा साल में ही मंत्रिमंडल में फेरबदल की खबरों पर कांग्रेस को जरूर सरकार के कामकाज पर सवाल उठाने का मौका मिल गया।
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जाहिर है शिवराज सरकार की चौथी पारी में सिंधिया समर्थकों की वजह से गौरीशंकर बिसेन, राजेन्द्र शुक्ला, रामपाल सिंह और संजय पाठक जैसे चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिल पाई थी। इनका प्रदर्शन पूर्व की सरकार में बेहतर प्रदर्शन रहा। इसके अलावा सरकार पर उन चेहरों को भी मंत्री बनाने का दबाव है, जो लगातार दावेदार होने की वजह से मंत्री नहीं बन पा रहे हैं। बदलाव की कवायद को लेकर रमेश मेंदोला का नाम भी सुर्खियों में है। बहरहाल शिव मंत्रिमंडल कौन शामिल होगा और कौन बाहर? इस पर से पर्दा उठने का इंतजार सबको है।
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