भोपाल: खरगोन में पुलिस कस्टडी में हुई आदिवासी युवक की मौत ने मध्यप्रदेश की सियासत को भी सुलगा दिया है। आदिवासी समाज का गुस्सा पुलिस महकमे पर फूट रहा है, तो दूसरी ओर कांग्रेस ने प्रदेश की पुलिस को तालिबानी करार दे दिया। कांग्रेस नेता अरुण यादव ने ट्वीट किया कि मध्यप्रदेश की पुलिस तालिबानी बन चुकी है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भी शिवराज सरकार पर जमकर बरसे।
कमलनाथ ने ट्वीट किया कि मध्यप्रदेश में आदिवासी वर्ग पर दमन व उत्पीड़न का काम जारी। नेमावर, नीमच के बाद अब खरगोन ज़िले के बिस्टान थाने में एक आदिवासी व्यक्ति की प्रताड़ना से मौत की जानकारी है। उन्होंने सरकार से घटना की उच्च स्तरीय जांच की मांग की। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने इस मामले के लिए पूर्व मंत्री विजयलक्ष्मी साधौ की अध्यक्षता में कांग्रेस नेताओं की जांच कमेटी बना दी है।
बड़वानी जिले में एक दिन पहले आयोजित आदिवासियों की सभा में भी कांग्रेस ने सरकार को कठघरे में खड़ा किया था। इस दौरान कमलनाथ नेमावर में आदिवासी परिवार के नरसंहार से लेकर पूरे प्रदेश में हो रहे आदिवासियों पर जुल्म के खिलाफ सरकार पर जमकर बरसे थे। अब खरगोन में आदिवासी युवक की पुलिस हिरासत में हुई मौत ने कांग्रेस को बड़ा मौका दे दिया। कांग्रेस मामले में हमलावर है। मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कांग्रेस के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस का इतिहास है कि वो मौतों पर राजनीति करती है। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि कांग्रेस नेताओं को तालिबान इतना ही पसंद है तो वो अफगानिस्तान चले जाए।
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दरअसल मध्यप्रदेश के खंडवा लोकसभा सीट पर उपचुनाव होने हैं। खरगोन भी इसी लोकसभा क्षेत्र में आता है। खंडवा लोकसभा में साढ़े 6 लाख से ज्यादा आदिवासी वोटर हैं। जाहिर है दोनों ही पार्टियों को आदिवासियों की फिक्र भी होगी। लेकिन ये फिक्र सिर्फ चुनावी लगती है, क्योंकि बीजेपी कांग्रेस दोनों ही आदिवासियों के मामले में बड़े दावे करते हैं। आदिवासियों के हिमायती होने के प्रमाण भी देते हैं। बावजूद इन सब के मध्यप्रदेश में आदिवासियों के खिलाफ हिंसा के बड़े मामले दोनों दलों की नीयत पर सवाल खड़ा करता है।