जबलपुर। Umang Singhar on OBC Reservation : मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने के राज्य शासन के निर्णय को चुनाैती दी गई थी। दरअसल, प्रदेश के 26 अगस्त 2021 को तत्कालीन महाधिवक्ता के अभिमत के चलते सामान्य प्रशासन विभाग ने 2 सितंबर 2021 को एक परिपत्र जारी कर ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण की अनुमति प्रदान की थी। अब इस मामले में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार की प्रतिक्रिया सामने आई है।
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि हाईकोर्ट ने भाजपा सरकार के 87%-13% फॉर्मूले को खारिज कर दिया, जो ओबीसी को 27% आरक्षण से वंचित करने की साजिश थी। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में 69 याचिकाएं लगाकर भी अड़ंगा डालने की कोशिश की थी। अब बिना देरी के सभी भर्ती परीक्षाओं में ओबीसी को 27% आरक्षण के साथ प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए, ताकि छात्रों को उनका हक मिले।
हाईकोर्ट ने भाजपा सरकार के 87%-13% फॉर्मूले को खारिज कर दिया, जो ओबीसी को 27% आरक्षण से वंचित करने की साजिश थी। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में 69 याचिकाएं लगाकर भी अड़ंगा डालने की कोशिश की थी।
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— Umang Singhar (@UmangSinghar) January 29, 2025
बता दें कि इस मामले में हाईकोर्ट ने 4 अगस्त 2023 को अंतरिम आदेश के तहत जीएडी के उक्त परिपत्र पर रोक लगा दी थी। इसका अर्थ ये था कि सभी नियुक्तियों में ओबीसी को 14 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा। अब विधिवेत्ताओं का कहना है कि चूंकि जिस याचिका में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देने पर रोक लगा दी गई थी, जो निरस्त हो गई है, इसलिए स्टे भी स्वमेव समाप्त हो गया है। इस मामले में हाईकोर्ट का विस्तृत आदेश फिलहाल प्रतीक्षारत है।
यह याचिका सागर की यूथ फॉर इक्वालिटी संस्था की ओर से दायर की गई थी। याचिका में दलील दी गई थी कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी भी स्थिति में कुल आरक्षण 50 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए। ऐसे में जीएडी के उक्त परिपत्र के कारण प्रदेश में आरक्षण 50 फीसदी से अधिक हो गया है।
गौरतलब है कि आशिति दुबे ने मेडिकल से जुड़े मामले में ओबीसी आरक्षण को पहली बार चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने 19 मार्च 2019 को ओबीसी के लिए बढ़े हुए 13 प्रतिशत फीसदी पर रोक लगाई थी। इसी अंतरिम आदेश के तहत बाद में कई अन्य नियुक्तियों में भी रोक लगाई गई थी। यह याचिका 2 िसतंबर 2024 को हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर हो गई। इसी तहर राज्य शासन ने ओबीसी आरक्षण से जुड़ी करीब 70 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करा ली हैं, जिन पर फैसला आना बाकी है।