भोपाल: मध्यप्रदेश में आसमानी आफत का कहर जारी है। इसका सबसे ज्यादा असर ग्वालियर-चंबल संभाग में नजर आ रहा है। SDRF और NDRF के साथ ही सेना भी राहत और बचाव कार्य में जुटी है। आफत को देखते हुए सरकार भी एक्शन मोड में है। खुद सीएम शिवराज सिंह चौहान समेत कई मंत्री बाढ़ प्रभावित इलाकों का लगातार दौरा कर पीड़ितों से मुलाकात कर रहे हैं, लेकिन दूसरी ओर कांग्रेस सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रही। अब सवाल ये है कि कुदरत के सितम से हालात बेकाबू हुआ या सिस्टम की लापरवाही से?
भारी बारिश और बाढ़ से मची तबाही के बीच अब खुद शिवराज सिंह चौहान ने मोर्चा संभाला हुआ है। मुख्यमंत्री लगातार बाढ़ पीड़ित इलाकों का हवाई दौरा कर रहे हैं और पीड़ितों से मुलाकात कर उनका दर्द बांट रहे हैं। सरकार भले बाढ़ प्रभावितों की मदद के लिए लाख कोशिशें कर रही हो, लेकिन कांग्रेस आरोप लगा रहा है कि अगर शासन-प्रशासन ने वक्त रहते इंतजाम किए होते तो ये हजारों गांव बाढ़ में नहीं डूबते। न सिर्फ कांग्रेस बल्कि पार्टी के नेता भी अब प्रशासनिक सिस्टम को लेकर सवाल उठा रहे हैं।
जाहिर है बीजेपी नेता अनूप मिश्रा का ये बयान अब बीजेपी के गले की फांस बन गया है। दूसरी ओर कांग्रेस भी लगातार सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ 7 अगस्त को ग्वालियर चंबल के दौरे पर जा रहे हैं। कमलनाथ इस दौरान बाढ़ प्रभावितों से मुलाकात भी करेंगे। जाहिर है बाढ़ की सियासत का असर विधानसभा के मॉनसून सत्र में भी नज़र आएगा।
दरअसल अनूप मिश्रा की नाराज़गी सिर्फ सिस्टम से नहीं है, बल्कि उनकी नाराज़गी तो सिंधिया खेमे से भी है। भले ये लड़ाई अंदरुनी हो, लेकिन अब सतह पर आ गई है। सिंधिया गुट के विरोधियों को भी मौका मिल गया है। सिंधिया और समर्थकों को नाकारा बताने का अनूप मिश्रा के बयान के बाद कांग्रेस के आरोपों को भी बल मिल गया है। कांग्रेस पहले दिन से ये दावा करती रही है कि मौसम विभाग के पूर्वानुमान की खबरों के बाद भी प्रशासन अलर्ट नहीं हुआ। मंत्री अपना चेहरा चमकाने भोपाल में डटे रहे, लेकिन जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खुद मोर्चा संभाला तब मंत्री मैदान में आए। हालांकि बीजेपी नेता सरकार के बचाव में कह रहे हैं कि प्रशासन अलर्ट था और पूरा सिस्टम बचाव कार्य में मुस्तैद है।
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बाढ़ को लेकर सियासी आरोप-प्रत्यारोप के बीच सेना ने मोर्चा संभाला हुआ है। ग्वालियर, शिवपुरी, श्योपुर, दतिया सहित बाढ़ प्रभावित इलाकों में NDRF और SDRF की टीम लगातार बचाव कार्य में जुटी हुई है। लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद सैलाब ने जनजीवन अस्त व्यस्त कर रखा है। इलाके की नदियां उफान पर हैं। वहीं बांधों के गेट खोलने के बाद खतरा और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। दूसरी ओर आसमानी आफत को लेकर सियासत में भी बाढ़ आई हुई है।