Bholenath’s first royal ride: उज्जैन। सावन का महीना उतसव के रूप में मनाया जाता है। सावन तो शुरू हो गया लेकिन आज सावन का पहला सोमवार है। सावन सोमवार का बहुत महत्व होता है। सावन का पहला सोमवार होने की वजह से सुबह से ही शिवालयों में भक्तों का तांता लगने लगा। यहां भक्ति में लीन श्रद्धालु पूजा-अर्चना, अभिषेक के साथ महादेव की आराधना में लीन दिखे। इस बार सावन के 4 सोमवार है। बाबा महाकाल के दर्शन के लिए सुबह से ही भक्तों की लंबी लाईन लगी हुई है। इस दौरान अलसुबह से शहर भोलेनाथ के जयकारों से गूंज उठा। गौरतलब है कि सावन-भादौ मास में गर्भगृह में प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा। इस वजह से 1500 की रसीद से दर्शन करने वाले दर्शनार्थियों को नंदी हॉल तक लाया जाएगा। यहां उनके हाथ से जल का पात्र छुआकर बाबा पर अर्पित किया जाएगा। इसके बाद उन्हें काले गेट या रैम्प से बाहर निकाला जाएगा। नंदी हॉल में इसके लिए नए बैरिकेड्स लगाए गए है।>>*IBC24 News Channel के WhatsApp ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां Click करें*<<
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Bholenath’s first royal ride: भोलेनाथ का प्रिय महीना सावन शुरू हो गया है। जिसे लेकर महाकालेश्वर मंदिर में भी तैयारी पूरी हो गई है। मंदिर के चारों तरफ बैरिकेड्स लगाए गए हैं। दर्शनार्थियों का हुजूम भी उमड़ने लगा है। भगवान महाकाल की नगरी में सावन का उल्लास नजर आ रहा है। बाबा महाकाल सहित शहर के अनेक शिवालयों में आस्था का सैलाब नजर आ रहा है। सवारी में जिन रथों को क्रम अनुसार जोड़े जाना हैं, उनकी साफ-सफाई और रंग-रोगन का काम भी पूरा हो गया है। जिसे देखने के लिए दर्शनार्थियों का हुजूम भी बाबा के दरबार में नजर आया।
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Bholenath’s first royal ride: भगवान महाकाल की हर साल सावन-भादौ मास में सवारी निकाली जाती है। इसी क्रम में इस साल मात्र 6 सवारियां निकाली जाएंगी। साथ ही इस बार परंपरागत मार्ग से ही बाबा की पालकी निकाली जाना है। दो साल से कोरोना के कारण बदले हुए मार्ग से सवारी निकाली जा रही थी, लेकिन इस साल परंपरागत मार्ग से सवारी निकाले जाने की चर्चा है। चांदी की पालकी में विराजमान होकर भगवान महाकाल भक्तों को दर्शन देने नगर भ्रमण पर निकलेंगे। मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ ने बताया कि जिला और पुलिस प्रशासन की ओर से सवारी की तैयारियां पूरी कर लीं गई हैं।
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Bholenath’s first royal ride: बाबा महाकाल की पहली सवारी आज सावन के पहले सोमवार को निकलेगी तो सवारी मंदिर से शुरू होकर गुदरी, कहारवाड़ी, हरसिद्धि पाल, रामानुजकोट, रामघाट पहुंचेगी, जहां क्षिप्रा के जल से जलाभिषेक, आरती-पूजन होगा। इसके बाद सवारी फिर आगे के लिए रवाना होगी। कार्तिक चौक, ढाबा रोड, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, गुदरी होते हुए मंदिर पहुंचेगी। इसके लिए व्यवस्था भी बनाई गई है यहां 5 नंबर गेट से वीआईपी, प्रेस, पुजारी, पुरोहित यहां से वे सीधे मंदिर परिसर रैम्प होते हुए नंदी हॉल के पीछे बने बैरिकेड्स से दर्शन करेंगे। आम दर्शनार्थियों को बड़े गणेश मंदिर के सामने से ही प्रवेश दिया जाएगा। वर्तमान में जिस मार्ग से होकर वे मंदिर में प्रवेश कर रहे हैं, उसी मार्ग से उनको प्रवेश और निर्गम किया जाएगा।