Nagdwari Temple: पचमढ़ी। पचमढ़ी में भगवान शिव के अनेकों स्थान है जिन्हें भक्त अलग-अलग नामों से जानते है। कहते हैं यहां के कंकर कंकर में शंकर है और जंगलो कंदराओं में शिव लीला। ऐसा ही एक स्थान काजरी गांव में बसा हुआ है जिसे नागद्वारी के नाम से जाना जाता है। यहां आने वाले लोगों की श्रद्धा और विश्वास इस स्थान को और भी साकार बनाती है। जंगल के ऊंचे-नीचे पथरीले रास्ते, बे-हिसाब चढ़ाई किसी के भी मन में बेचैनी ला देती है, पर लोगों की आस्था ऐसी है कि लोग बढ़ें चले जाते है।
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Nagdwari Temple: थोड़ी थकान और विश्राम करने के बाद लगता है कि लोगों में दर्शन की होड़ लगी है। इन दुर्गम पहाड़ियों में क्या बच्चे क्या जवान सभी मग्न दिखाई पड़ते है। अपने ईस्ट को मानाने में सेवाभावी मंडल और सरकारी मशीनरी लोगों की सुरक्षा, सुविधा के साथ भोजन का इंतजाम करती है। लेकिन बिना बरसात के मेला चल नहीं पाता। बारिश नहीं होने से बड़ी दिक्कतें होती है। यहां पर नाग देवता के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं और 18 किमी का रास्ता पैदल चलकर इस मंदिर तक पहुंचते है।
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Nagdwari Temple: नागद्वारी में नाग देवता का बहुत ही रहस्यमय मंदिर है। नागलोक की महिमा ख्याति दूर दूर तक फैली हुई है। यहां आने वाले भक्तों के विश्वास है। यहां उनकी मनोकामनाएं पूरी होती है। मनोकामना पूरी होने पर श्रद्धालु मन्नत की मनौती करने जरूर आते है। यहां महाराष्ट्र के श्रद्धालु की मात्रा अधिक होती है। इसके अलावा अन्य स्थानों के श्रद्धालु भी इक्छापूर्ति के लिए इस स्थान पर आते है। नागपंचमी के दिन सतपुड़ा की वादियों में नागराज को मनाने नागद्वार में मन्नत मांगने दूर दूर से श्रद्धालुओं की भीड़ लग रही है
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