Reported By: Kavi Chhokar
,सीहोर।Sahastralingam Mahadev: सीहोर के बढियाखेड़ी में सहस्त्रलिंगम महादेव का मंदिर करीब 300 साल से अधिक पुराना माना जाता है। मान्यता है कि मंदिर में जो शिवलिंग स्थापित है वह सीवन नदी से निकला है। नदी से निकले इस स्वयंभू शिवलिंग के लिए नदी किनारे ही मंदिर का निर्माण कराया गया। इस शिवलिंग में एक हजार शिवलिंग समाहित है और यही कारण है कि इस शिवलिंग का नाम सहस्त्रलिंगम महादेव है। बताया जाता है कि सहस्त्रलिंगेश्वर जैसा पूरे देश में केवल तीन ही मंदिर है। इस मंदिर की प्रसिद्धि दूर-दूर तक है।
मान्यता है कि शिवलिंग के दर्शन मात्र से सारी समस्याएं और कष्ट दूर हो जाते हैं। सावन मास में यहां विशेष पूजा का आयोजन भी होता है। हालांकि इस बार कोरोना संक्रमण के कारण यह संभव नहीं हो सका है। शिवलिंग का निर्माण ही हजार शिवलिंग से हुआ है। एक हजार छोटे-छोटे शिवलिंग से एक बड़ा शिवलिंग बना है। यही कारण है कि इस शिवलिंग का नाम सहस्त्रलिंगेश्वर है। इन छोटे शिवलिंग को बड़े शिवलिंग पर आसानी से देखा जा सकता है।
सावन में होती है विशेष पूजा
Sahastralingam Mahadev: पाषाण निर्मित ये शिवलिंग नदी की खुदाई से निकला है और इसकी पहचान कई साल पुरानी बताई जाती है। मंदिर में शिवलिंग की स्थापना के समय शिवलिंग को तांबे से सुसज्जित कर स्थापित किया गया है। मंदिर के पुजारी बताते हैं कि अंग्रेजों के समय पास में ही सीवन नदी में खुदाई हो रही थी तभी यह शिवलिंग मिला। तब भी यह करीब 200 वर्षो से अधिक पुराना माना गया था। यहां शिवरात्रि और सावन में शिवलिंग के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।
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