Reported By: Rajeev Rajeev Pandey
, Modified Date: September 1, 2024 / 12:41 PM IST, Published Date : September 1, 2024/12:41 pm ISTरीवा: Collector Treated Teachers Brain Tumor अगर कोई डॉक्टर किसी की बीमारी ठीक कर दे तो ये सुनकर किसी को हैरानी नहीं होगी। लेकिन अगर कहें कि जिला कलेक्टर ने ब्रेन ट्यूमर जैसी गंभीर बीमारी को ठीक कर दी तो शायद सुनकर आपको भी हैरानी होगी। आपको और भी हैरानी होगी कि जिला कलेक्टर प्रतिभा पाल ने एक दो नही बल्कि 11 मरीजों की बीमारी ठीक कर दी है। ये मामला सामने आने के बाद पूरे शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।
Collector Treated Teachers Brain Tumor दरअसल मामला रीवा जिले के एक स्कूल में 11 शिक्षक अतिशेष थे। वहीं, जब प्रदेश के मुखिया ने शिक्षा का स्तर गिरने के मामले में संज्ञान लिया तो जिला कलेक्टर भी एक्शन मोड में आ गए। एक्शन मोड में आए कलेक्टर ने जब रीवा जिले के इस स्कूल की फाइल देखी तो उनके भी होश उड़ गए। कलेक्टर प्रतिभा पाल ने पाया कि स्कूल में 11 ऐसे शिक्षक हैं जिन्हें ब्रेन ट्यूमर है और सभी अतिशेष शिक्षक के तौर पर पदस्थ हैं।
मामले में सज्ञान लेते हुए कलेक्टर तत्काल प्रभाव से मेडिकल बोर्ड का गठन करने का फैसला लिया। कलेक्टर के इस फैसले की जानकारी मिलते ही पूरे शिक्षा महकमे में हड़कंप मच गया। वहीं, कल तक जो शिक्षक ब्रेन ट्यूमर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे वो अब खुद को स्वास्थ्य बताने में लगे हुए हैं। इतना ही नहीं इन शिक्षकों ने अब रिपोर्ट तैयारी करने वाले कंप्यूटर को ही बीमार बता दिया है। अब सवाल यह उठता है कि कंप्यूटर चुनिंदा शिक्षकों को ही क्यों बीमार बताता है? क्या कंप्यूटर वायरस से इतना पीड़ित है कि केवल ब्रेन ट्यूमर के 11 शिक्षक एक ही स्कूल में पदस्थ कर देता है?
दरअसल प्रदेश के जिन विद्यालयों में शिक्षकों की कमी है वहां पर अतिशेष शिक्षकों को भेजने की तैयारी की की जा रह है। इस फैसले की जानकारी होते ही शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। प्रतिभा पाल का कहना है कि यदि कोई भी शिक्षक बीमार बताता है तो उसकी जांच के लिए मेडिकल बोर्ड से परीक्षण कराया जाएगा।
इस पूरे मामले को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कि यह फीडिंग 2022 की है। मामला सामले आने के बाद अब इसकी जांच की जा रही है कि आखिर शिक्षकों को बीमार बताकर फीडिंग कैसे की गई है। हालांकि कंप्यूटर को ही अब बीमार साबित करने की कवायत शुरू हो चुकी है।
वहीं, की मानें तो ये सभी शिक्षक नए जगह पर ट्रांसफर किए जाने से बचना चाहते थे। इसलिए उन्होंने खुद को बीमार साबित कर दिया था। खुद को बीमार साबित करने के लिए इन शिक्षकों ने फर्जी सर्टिफिकेट बनावाया था और कार्यालय में जमा कर दी। इसी फर्जी सर्टिफिकेट का आधार बनाकर ये शिक्षक लंबे समय से एक ही स्कूल में जमे हुए हैं। जबकि ये सभी अतिशेष शिक्षक के तौर पर तैनात हैं।
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