भोपाल: प्रदेश में 30 अक्टूबर को खडंवा लोकसभा और रैंगांव, पृथ्वीपुर,जोबट विधानसभा सीटों पर उप-चुनाव की वोटिंग है, जिसमें हार-जीत से भी मौजूदा सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा। लेकिन फिर भी ये चुनाव दोनों दलों के लिए साख का सवाल है। इन्हें 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले सत्ता का सेमीफाइनल तक कहा जा रहा है। इसलिए बीजेपी हो या कांग्रेस फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं। दरअसल ये माना जा है कि उपचुनाव के परिणामों से तय हो जाएगा कि 2023 के पहले जनता का मूड क्या है? इसीलिए बीजेपी और कांग्रेस सर्वे से लेकर रायशुमारी तक सब कुछ कर रहे है लेकिन जीत की रणनीति तय करने से पहले दल फिलहाल दावेदारों के समीकरण साधने की कवायद में जुटे हैं और दावेदार पार्टी दफ्तरों की परिक्रमा शुरू कर चुके हैं।
प्रदेश में उपचुनावों की तारीखों के ऐलान के बाद से दोनों दलों में प्रत्याशी चयन की कवायद साफ दिख रही है। बीजेपी ने तय किया है कि 5 अक्टूबर तक प्रत्याशियों के नाम तय कर दिए जाएंगे। इसके लिए शुक्रवार दिनभर खंडवा लोकसभा समेत तीनों विधानसभा के दावेदारों, प्रभारियों और चुनाव क्षेत्र पदाधिकारियों से प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री सुहास भगत ने वन-टू-वन मुलाकात की, फीडबैक लिया। इसके बाद मुख्यमंत्री के साथ प्रत्याशियों के नाम पर मंथन कर जल्द ही प्रदेश चुनाव समिति कि वर्चुअल बैठक में नामों का एक पैनल तैयार कर केंद्रीय नेतृत्व को भेजा जाएगा।
बीजेपी में खंडवा सीट पर प्रत्याशियों में काफी खींचतान है। पृथ्वीपुर में स्थानीय व्यक्ति को टिकट देने की मांग है, तो जोबट और पृथ्वीपुर में बीजेपी को जिताऊ प्रत्याशी खोजने पसीना आ रहा है। इन सब के बीच खंडवा से दावेदार पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस और दिवंगत सांसद नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे हर्ष सिंह चौहान ने भी भाजपा वरिष्ठों के सामने अपनी दावेदारी जताई।
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कांग्रेस में भी प्रत्याशी चयन की माथापच्ची जारी है। खंडवा से कांग्रेस के प्रबल दावेदार पूर्व PCC अध्यक्ष अरुण यादव दिल्ली में पार्टी के जिम्मेदार नेताओं की परिक्रमा कर लौट आए हैं, तो दूसरी तरफ निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा अपनी पत्नी जयश्री सिंह के लिए कांग्रेस से टिकट मांगते हुए दावा कर रहे हैं कि कांग्रेस के सर्वे में उनकी पत्नी ही जिताऊ है। प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ 2 अक्टूबर को कांग्रेस को जोबट ,पृथ्वीपुर ,रैंगाव और खंडवा में पार्टी प्रत्याशी पर मंथन करेंगे।
मध्य प्रदेश में सत्ता का सेमीफाइनल कहे जाने वाले इन उप चुनावों के नतीजों से सरकार की सेहत पर जरा भी फर्क नहीं पड़ने वाला लेकिन फिर भी दमोह में आए नतीजे के बाद। कुल 4 सीटों पर आऩे वाले ये नतीजे शिवराज सरकार के काम की परीक्षा माने जा रहे हैं। जीत किसकी होगी ये तो 2 नवंबर को पता चलेगा। फिलहाल तो दलों को दावेदारों के बीच सभी समीकरण साधने की चुनौती है।
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