Ravan is worshiped at these places in MP

Dussehra Special Story : एमपी में इन जगहों पर नहीं जलाया जाता रावण का पुतला, होता है विधि-विधान से पूजन, जानें इसके पीछे की वजह..

Ravan is worshiped at these places in MP: ऐसी मान्यता है कि जो लोग रावण की पूजा करके उनसे मन्नत मांगते हैं उनकी मनोकामान अवश्य पूरी होती है।

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Modified Date: October 24, 2023 / 09:09 PM IST
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Published Date: October 24, 2023 9:09 pm IST

Ravan is worshiped at these places in MP : भोपाल। आज पूरे देश में दशहरे की धूम है। लोग मां दुर्गा को नम आंखों से विदाई देंगे। कई जगहों पर रावण, मेघनाद एवं कुंभकरण के पुतले जलाए जाएंगे। यहां तक ही मध्यप्रदेश में खुद कई जिलों में परंपरानुसार दशहरा मनाकर रावण दहन किया जाता है। लेकिन प्रदेश में ऐसी भी जगह हैं जहां रावण का पुतला नहीं जलाया जाता है बल्कि वहां के लोग रावण का पूजन पाठ करते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो लोग रावण की पूजा करके उनसे मन्नत मांगते हैं उनकी मनोकामान अवश्य पूरी होती है।

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राजगढ़ में होती है रावण की पूजा

Ravan is worshiped at these places in MP : दरअसल राजगढ़ जिले के भाटखेड़ी गांव में सड़क के किनारे रावण और कुंभकर्ण की प्रतिमा बनी हुई है। यहां के रहवासियों का मानना है कि ये रावण मन्नत पूर्ण करने वाला है। इसलिए ग्रामीण यहां नियमित पूजा अर्चना करते हैं। यहां आस-पास के गांव के लोग भी मन्नत मांगने के लिए आते हैं। मन्नत पूरी होने पर प्रसाद चढ़ाया जाता है। शारदीय नवरात्रि के दौरान यहां पर नौ दिन तक रामलीला का आयोजन किया जाता है और दशहरे के दिन रावण की पूजा अर्चना कर राम और रावण के पात्रों द्वारा भाला छुआ कर गांव और जनकल्याण की खुशी के लिए मन्नत मांगी जाती है।

विदिशा में होती है रावण की पूजा

रावण की पत्नी मंदोदरी मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले से मानी जाती है। ऐसे में यहां रावण को दामाद माना जाता है और उसे सम्मान के साथ रावण बाबा बोला जाता है। दशहरे दिन यहां रावण का पुतला दहन नहीं किया जाता है, बल्कि इस दिन रावण की नाभि में रुई में तेल लेकर लगाया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से उनकी नाभि में लगे तीर का दर्द कम हो जाता है। इस दिन लोग रावण की पूजा करके उनसे विश्वकल्याण और गांव की खुशहाली के लिए मन्नत मांगते हैं।

उज्जैन के इस गांव में होती है रावण की पूजा

मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के काचिखली गांव में भी दशहरे के दिन रावण का पुतला दहन नहीं किया जाता है। बल्कि इस दिन यहां रावण की पूजा की जाती है। यहां के बारे में ऐसी मान्यता है कि यदि रावण की पूजा नहीं की जाएगी तो गांव जलकर राख हो जाएगा। इसी डर से ग्रामीण यहां पर आज भी दशहरे के दिन रावण का दहन न करके उसकी मूर्ति की पूजा करते हैं।

 

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