रायसेन। एमपी अजब है, सबसे गजब है का श्लोगन वैसे तो पर्यटन विभाग के लिए बनाया गया था, जिसे मध्यप्रदेश के अधिकारियों ने आत्मसात कर लिया। नतीजतन ऐसे ऐसे कारनामे अधिकारियों के सामने आने लगे, जिन्हें देखकर सुनकर ही मन से बरबस ही निकल जाता हैं कि वाकई एमपी अजब है, सबसे गजब है । पट्टे की जमीन को किस तरह और किस नियम में दूसरे के नाम नामांत्रित की, जबकि पट्टे की जमीन बेचने का नियम नहीं है। बावजूद इसके पटवारी और तहसीलदार ने कैसे इस जमीन को नामांत्रित कर दिया।
ताजा मामला रायसेन जिले की बाड़ी तहसील का सामने आया है, जहां सत्तर के दशक में मध्यप्रदेश शासन ने हरिजन आदिवासियों के लिए जमीनें शासकीय पट्टे के तहत उनकी जीविकोपार्जन के लिए दी थी। ऐसी ही एक जमीन बाड़ी तहसील के ग्राम पंचायत चैनपुर के गया प्रसाद अहिरवार को मिली, जिसका खसरा क्रमांक 41 और रकवा 4.5850 हेक्टेयर लगभग 15 एकड़ भूमि दी। पट्टेधारी गया प्रसाद की मृत्यु के बाद पटवारी तहसीलदार ने उस भूमि का पोथी नामा न करते हुए किसी दूसरे व्यक्ति राम प्रसाद के नाम पर कर दी गई और गया प्रसाद के दोनों पुत्रों को इस जमीन से कागजों में हेराफेरी कर गायब कर दिया और इस पट्टे की भूमि को भूस्वामी में बदल दिया गया ।
मामला तब सामने जब गया प्रसाद के पुत्र के पास सोसाइटी से करीब सवा लाख रुपये की वसूली का नोटिस मिला। बाड़ी तहसीलदार और पटवारी ने कैसे पट्टे की जमीन का नामांतरण कर इस जमीन को किसी और के नाम कर दिया, यह तो जांच होने के बाद पता चलेगा, लेकिन जिस तरह से जिले में ऐसे मामले एक के बाद एक सामने आ रहे हैं। उससे जाहिर होता है की राजस्व विभाग कुछ भी कर सकता है । हालांकि गया प्रसाद के पुत्र मोहन अहिरवार ने जिला मुख्यालय पर जन सुनवाई सहित एसडीएम बरेली मुकेश सिंह को आवेदन देकर जमीन वापिस दिलाने की मांग की है। IBC24 से संतोष मालवीय की रिपोर्ट
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