भोपाल: मध्यप्रदेश में एक और रेलवे स्टेशन का नाम बदल जाएगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिह चौहान ने पातालपानी रेलवे स्टेशन का नाम टंट्या भील के नाम पर करने की घोषणा की है। इससे पहले भोपाल के हबीबगंज का नाम कमलापति स्टेशन किया गया था। सरकार के इस फैसले पर सियासत तेज हो गई है। इसके अलावा राज्य सरकार टंट्या भील का बलिदान दिवस भी मनाएगी। दूसरी ओर कांग्रेस बीजेपी सरकार पर आदिवासियों को गुमराह करने का आरोप लगा रही है।
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जनजातीय गौरव सप्ताह के आखिरी दिन मंडला में आदिवासियों के सम्मान में सीएम शिवराज ने सिर्फ एक ही घोषणा नहीं की। नाम बदलने की ये फेहरिस्त काफी लंबी है। पातालपानी स्टेशन का नाम टंट्या भील के नाम पर होगा जिसका प्रस्ताव केंद्र को भेजा जाएगा। मंडला के कंप्यूटर कौशल केंद्र और पुस्तकालय का नाम राजा शंकर शाह और रघुनाथ शाह के नाम पर होगा। मंडला के महिला पॉलिटेक्निक कॉलेज का नाम रानी फूल कुंवर के नाम पर रखा जाएगा। मंडला मेडिकल कॉलेज का नाम राजा हृदय शाह के नाम पर होगा। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मोहनपुर का नाम टंट्या भील के नाम पर रखा जाएगा और इंदौर शहर में भंवरकुआं चौराहे का नाम बदलकर जननायक टंट्या भील चौराहा के नाम से किया जाएगा। वहीं इंदौर में 53 करोड़ की लागत से बनने वाले बस स्टैंड का नाम टंट्या मामा बस स्टैंड किया जाएगा। वैसे 15 नवंबर को बिरसा मुंडा की जयंती पर पीएम मोदी आदिवासियों के लिए कुछ बड़ी घोषणाएं पहले ही कर चुके हैं। अब राज्य सरकार 4 दिसंबर को टंट्या भील की पुण्यतिथि पर उनकी जन्मभूमि पातालपानी में अमृत महोत्सव मनाएगी।
दरअसल पिछले कुछ दिनों से मध्यप्रदेश की सियासत आदिवासियों के इर्द गिर्द होने की बड़ी वजह है उनका 93 विधानसभा सीटों पर असर। ऐसे में जब अगले विधानसभा चुनाव में दो साल से कम वक्त का समय बचा हो दोनों ही पार्टियां आदिवासी वर्ग को अपने साथ रखना चाहती है। इसके अलावा कुछ आदिवासी इलाकों में जयस के बढ़ते असर ने भी कांग्रेस और बीजेपी को चिंता में डाल रखा है। बीजेपी की रणनीति जहां आदिवासी समुदाय के नायकों के जरिए आदिवासी सम्मान के मुद्दे को उठाना है तो कांग्रेस आदिवासियों के लिए किए गए अपने काम के जरिए पैठ बढ़ाने में लगी है। टंट्या भील की पुण्यतिथि पर होने वाले अमृत महोत्सव को लेकर कांग्रेस का साफ कहना है कि बीजेपी आदिवासी युवाओं को बरगलाने में लगी है।
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जाहिर है 15 नवंबर को बिरसा मुंडा की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर साल गांधी जयंती की तर्ज पर बिरसा मुंडा जयंती मनाने की घोषणा की। यानी साफ है कि बीजेपी की नजर देशभर के करीब 13 करोड़ आदिवासी वर्ग पर है जो 2024 के लोकसभा चुनाव में उसकी मदद कर सकते हैं।
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