भोपाल: प्रदेश के चुनाव में सड़क,बिजली, पानी हमेशा से बड़े मुद्दे रहे हैं जो कि जनता से सीधे जुड़ते हैं। बहुत वक्त नहीं हुआ है जब राजधानी में सड़कों की खस्ताहालत को लेकर स्वयं मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को फटकार लगाते हुए फौरन उन्हें दुरूस्त करने का निर्देश दिया था। अब प्रदेश में कई इलाकों में हो रही अघोषित बिजली कटौती ने लोगों को परेशान कर दिया है, जिस पर सत्तासीन भाजपा के जनप्रतिनिधियों ने भी आक्रोश जताते हुए जल्द इसे दूर करने की मांग की है। जाहिर है विपक्ष को इस मुद्दे पर सरकार को घेरने का खुला मौका मिला है।
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बिजली कटौती पर ये बयान विपक्ष के किसी नेता का नहीं है, बल्कि बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी का है। मध्यप्रदेश के ग्रामीण इलाकों में अघोषित पावर कट हो रहा है। घंटे दो घंटे का नहीं बल्कि 10 से 12 घंटे तक का। ऐसे में ग्रामीण इलाकों में किसानों को चिंता सताने लगी है, जिन्हें फसलों को पानी देना है, बच्चों को पढ़ाना है। हालात देखकर लगता है की कहीं फिर तो लालटेन का वो दौर नहीं आ जाएगा। वैसे ये डर न सिर्फ आपको हमको है बल्कि सत्ता पक्ष के विधायकों को भी है। टीकमगढ़ से बीजेपी विधायक राकेश गिरी ने सीएम शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर अघोषित बिजली कटौती बंद करने की मांग की, तो सीनियर विधायक अजय विश्नोई ने भी ये दावा किया कि अघोषित पॉवर कट के नतीजे बीजेपी के लिए ठीक नहीं होंगे। बिजली संकट पर अपनों की शिकायत के बावजूद सरकार इसे भी कांग्रेस का ही पॉलिटिकल स्टंट बता रही है।
मध्यप्रदेश में बिजली संकट को लेकर कांग्रेस भी हमलावर है और इसे सियासी मुद्दा बनाने की कोशिश में जुटी है, क्योंकि कांग्रेस को 2018 में किसानों का कर्जा माफ और बिजली बिल हाफ पर ही सत्ता मिली थी। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बिजली संकट को लेकर बीजेपी सरकार को जिम्मेदार बताया। कमलनाथ ने ट्वीट किया कि में बिजली का संकट दिन-प्रतिदिन गहराता जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों, कृषि क्षेत्रों में स्थिति बेहद खराब होती जा रही है , कई-कई घंटों की अघोषित कटौती की जा रही है। कई ताप विद्युत परियोजनाएं बंद होने की कगार पर है। मांग और आपूर्ति में बड़ा अंतर सामने आ रहा है, सरकार इन सब मामलों से बेखबर बनी हुई है? मैं सरकार से मांग करता हूं कि प्रदेश की जनता को इस बिजली संकट व मनमाने बिजली बिलों से मुक्ति दिलाये अन्यथा कांग्रेस चुप नहीं बैठेगी, इस मुद्दे पर हम प्रदेश व्यापी आंदोलन करेंगे।
बिजली संकट की एक बड़ी वजह सिंगाजी, सारणी, बिरसिंहपुर, चचाई जैसे पावर प्लांट में बिजली उत्पादन प्रभावित होना है। इन प्लांट्स में काम तकरीबन बंद है। दरअसल इस वक्त बिजली की मांग अधिक नहीं होने के कारण मेंटेनेंस का काम किया जाता है। इससे बिजली आपूर्ति प्रभावित होती है, हालांकि उत्पादन पर्याप्त होने से इसका असर दिखाई नहीं देता। लेकिन इस दफे प्रदेश के बांध सूखे पड़े हैं, कोयले की भारी कमी है। बिजली का प्रोडक्शन तकरीबन बंद है। ऐसे में उपभोक्ताओं को मेंटेनेंस के वक्त दी जाने वाली बिजली के नहीं होने के कारण बिजली संकट गहरा गया है। अब बड़ी चुनौती बीजेपी सरकार के सामने है, क्योंकि कांग्रेस तो इसे लालटेन युग में दोबारा वापसी के संकेत बता रही है।
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