Mid day meal being served to children in paper: सागर : शासन और प्रशासन द्वारा स्कूलों में शैक्षणिक और अन्य व्यवस्थाएं सुधारने के भले ही तमाम दावे किए जाते है। लेकिन जमीनी हालात दावों की पोल खोल देते है,इसकी एक बानगी सागर जिले के एक स्कूल से सामने आई तस्वीर है। जहां बच्चे मध्यान भोजन में कागज और पेपर पर परोसी गयी खीर खाने को मजबूर है जबकि सरकार ने स्कूलों में थालियां उपलब्ध कराई है। इसके बात ही बच्चे कागज में भोजन कर रहे है।
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मामला सागर जिले के देवरी ब्लाक के कन्या संकुल केंद्र गौरझामर का है
बता दें कि ये पूरा मामला मध्य प्रदेश के सागर जिले के देवरी के खामखेड़ा मिडिल एकीकृत शाला स्कूल से सामने आया है। जहां मध्यान्ह भोजन के समय कुछ बच्चे कागज,पेपर पर खीर और हाथों में पूड़ी लेकर खा रहे थे। इस संबध में जब स्कूल की हेडमास्टर अनिता कुमार से जवाब मांगा गया तो वह ये दलील देती नजर आयी की बच्चे खुद ही थाली में खाना खाने से मना करते है।
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मध्यान्ह भोजन बच्चों को कागज में परोसा जा रहा है
दरअसल शासकीय स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को शिक्षा की ओर आकर्षित करने के लिए शासन द्वारा मध्यान्ह भोजन योजना का संचालन किया जा रहा हैं। लेकिन स्कूलों में मध्याह्न भोजन का काम संचालित करने वाले समूह जहां इसे अपनी कमाई का जरिया बनाए हुए हैं। तो वहीं इस व्यवस्था को देखने वाले स्कूलों के शिक्षक भी आंखें मूंदे हुए हैं,बच्चों को कागज पर परोस कर खाना खिलाने पर यहां पदस्थ शिक्षकों के साथ ही अधिकारियों को भी ऐतराज होता दिखाई नही दे रहा हैं।
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जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के कारण ऐसी है हालत
सूत्रों की माने तो संकुल केंद्र में पदस्थ जन शिक्षक,संकुल प्राचार्य, देवरी बीआरसी,जिला शिक्षा अधिकारी आदि जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के कारण आज स्कूलों में ये हालत बानी हुई है। स्कूलों में बच्चे कैसे खाना खाते है वो देखने वाला कई नहीं है। मध्यायन भोजन योजना के तहत सप्ताह भर कर मीनू होता है,स्वादिष्ठ और गुणवत्तायुक्त भोजन स्वसहायता समूह द्वारा प्रदाय किये जाने हेतु भारी भरकम भुगतान किया जाता है।
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दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रो की हालात और भी बुरी
Mid day meal being served to children in paper: बता दें कि खाना बनाने के वर्तन और थालियों की भी व्यवस्था इस योजना में समाहित है। लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही और स्वसहायता समूह से मिलीभगत के चलते बच्चों के मध्यान भोजन में भी भ्रष्टाचार किया जा रहा है। दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रो स्कूलों के तो और बुरे हालात है,निरीक्षण और कार्यवाही के अभाव में मध्यायन भोजन योजना अपने उद्देश्य से बेपटरी होती दिखाई दे रही है। बहरहाल इस मामले को लेकर जब हमने जिला शिक्षा अधिकारी सहित अन्य जिम्मेदारों से बात करने की कोशिश की तो कोई भी सामने नही आया।
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