श्योपुर (मध्य प्रदेश), 30 जून (भाषा) मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) में चीतों के संरक्षण के प्रयास में, उनके फर पर एक विदेशी मरहम लगाने की एक नयी पहल शुरू की गई है। यह जानकारी एक अधिकारी ने दी।
इस उपाय का उद्देश्य ‘सेप्टिसीमिया’ की पुनरावृत्ति को रोकना है, जो एक घातक जीवाणु संक्रमण होता है, जिसने पिछले साल तीन चीतों की जान ले ली थी।
दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से स्थानांतरण परियोजना के तहत भारत लाए गए चीतों पर कूनो राष्ट्रीय उद्यान में ‘सेप्टिसीमिया’ के खतरे से निपटने के लिए ‘एंटी एक्टो पैरासाइट’ औषधि लगायी जा रही है।
दक्षिण अफ्रीका से आयातित यह मरहम उद्यान के सभी 13 वयस्क चीतों पर लगाया जा रहा है, ताकि बरसात के मौसम में उनकी सेहत सुनिश्चित की जा सके। केएनपी के निदेशक उत्तम शर्मा ने रविवार को फोन पर ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘हमने बरसात के मौसम की शुरुआत के साथ ही चीतों पर दक्षिण अफ्रीका से आयातित ‘एंटी एक्टो पैरासाइट मेडिसिन’ (एंटी मैगॉट) लगाना शुरू कर दिया है।’
पिछले साल असफलताओं का सामना करने के बावजूद, कूनो राष्ट्रीय उद्यान भारत में चीतों के संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रतिबद्ध है। सेप्टीसीमिया के कारण तीन चीतों की मृत्यु ने शेष चीतों की सुरक्षा के लिए सक्रिय उपायों की आवश्यकता को रेखांकित किया।
उन्होंने कहा, ‘हम श्योपुर जिले में बफर जोन सहित 1,235 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले केएनपी में सभी 13 वयस्क चीतों के शरीर पर यह दवा लगाने जा रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘इस मरहम का प्रभाव तीन से चार महीने तक रहता है।’
भाषा अमित प्रशांत
प्रशांत
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