Now prisoners will study in jail: ग्वालियर। प्रशासन जेल में बंद कैदी को सुधारने के लिए नए-नए प्रयास करता है। तो वहीं कई कैदी ऐसे भी है जिन्हें उम्रकैद की सजा हो जाती है जिस वजह से उन्हे अपनी बाकी की जिंदगी जेल के अंदर ही बितानी पड़ती है। जिसकी वजह से उनकी कई ख्वाहिशें पूरी नहीं हो पाती। लेकिन जेल प्रशासन कैदियों का मन परिवर्तन करने के लिए उनसे कई प्रकार के काम कराए जाते है। लेकिन हाल ही में ग्वालियर से एक नया मामला सामने आया है जिसे जानकर हर कोई हैरान है। दरअसल, ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय ने कैदियों का जीवन संवारने का जिम्मा उठाया है।
Now prisoners will study in jail: जीवाजी यूनिवर्सिटी के दूरस्थ शिक्षण संस्थान यानि की डिस्टेंस एजुकेशन केंद्रीय जेल में स्किल डेवलपमेंट पाठ्यक्रम में डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने जा रहा है। इसके लिए तैयारी भी शुरू कर दी गई हैं। कुलपति प्रो. अविनाश तिवारी द्वारा इस संबंध में प्रस्ताव आईजी जेल को भेजा गया है। प्रारंभिक रूप से कोर्स शुरू कराने की सहमति भी बन चुकी है। अब सिर्फ इसकी घोषणा होना बाकी है।
Now prisoners will study in jail: दरअसल केंद्रीय जेल का संचालन सुधारगृह के रूप में किया जाता है। यहां पर अपराध कर आए लोगों को सुधारने के साथ ही उन्हें यहां से निकलकर रोजगार के अवसर मिलें इसके लिए प्रारंभिक प्रशिक्षण भी दिया जाता है। अब जीवाजी यूनिवर्सिटी द्वारा स्किल डेवलपमेंट कोर्सों का प्रशिक्षण विशेषज्ञ द्वारा दिलवाया जाएगा और इनकी परीक्षाएं आयोजित करवाकर बाकायदा सर्टिफिकेट और डिप्लोमा भी दिया जाएगा। ताकि बंदी बाहर निकलने के बाद जेल में सीखी गई विधा का उपयोग कर सकें।
Now prisoners will study in jail: शुरूआती दौर में केंद्रीय जेल ग्वालियर में पीजी डिप्लोमा इन कंप्यूटर एप्लीकेशन, पीजी डिप्लोमा इन साइकॉलॉजिकल काउंसलिंग, पीजी डिप्लोमा इन योगा एजुकेशन, पीजी डिप्लोमा इन एचआरडी, पीजी डिप्लोमा इन ड्राइंग पेंटिंग, पीजी डिप्लोमा इन साइबर लॉ, पीजी डिप्लोमा इन फोरेंसिक साइंस, एमए इन एजुकेशन तथा बीएससी कराई जाएगी। इसके अलावा औषधीय एवं सुगंधीय पौधों की खेती, फैशन डिजाइनिंग, ग्रामीण पत्रकारिता एवं जनसंचार, गुड्स एंड सर्विस टैक्स, वैदिक गणित, फलित ज्योतिष संबंधी सर्टिफिकेट कोर्स भी कराए जाएंगे।
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