भोपाल: 2022 has come with many new challenges नया साल उम्मीदों के साथ-साथ अनेक चुनौतियां भी लेकर आया है। मध्यप्रदेश में साल 2023 में विधानसभा चुनाव होना है, इसलिए नया साल 2022 बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए ही महत्तवपूर्ण होगा। जाहिर है दोनों दलों को जनता के बीच अपनी मौजूदगी और उनके हक में नजर आना जरूरी, ऐसे में दोनों पक्षों के लिए कई चैलेंज हैं?
2022 has come with many new challenges सरकार के लिए ओमिक्रॉन के प्रसार और कोरोना की तीसरी लहर से निपटना बडी चुनौती साबित हो सकता है। चुनाव से पहले सरकारी सिस्टम चुस्त रखना भी चुनौती है। प्रदेश में नए मुख्य सचिव और डीजीपी की नियुक्ति की जा सकती है। सियासी तौर पर सत्तापक्ष की चुनौती है मंत्रिमंडल में विस्तार और बदलाव की। बहुत मुमकिन है कि नॉन परफार्मेंस वाले मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाया जाए और चुनावी जमावट के लिहाज से नए चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाए। साल 2022 में योजनाओं, घोषणाओं पर चुनावी रंग दिखना तय है। इसके अलावा मूल समस्याओं मसलन सूखे की समस्या,पेयजल व्यवस्था, स्मार्ट सिटी, मेट्रो रेल परियोजना के लिए पर्याप्त बजट का प्रबंध और इन योजनाओँ को घोषणा के मुताबिक तय वक्त पर पूरा करना सबसे बड़ी चुनौती रहेगी। इसके अलावा OBC आरक्षण, पंचायत चुनाव, निकाय चुनाव करवाना भी बीजेपी सरकार के लिए अब साख का सवाल बन चुका है, क्योंकि माहौल बन जाने के बाद चुनाव रद्द होने से ग्रामीण खफा हैं। पार्टी स्तर पर भाजपा का सबसे बड़ा चैलेंज है ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों और पुराने नेता कार्यकर्ताओें में समन्वय बनाकर रखना। इसके साथ ही भाजपा के लिए नाराज कर्मचारियों, शिक्षकों, छात्रों को वक्त रहते मनाना और साधकर रखना भी बड़ा चैलेंज है।
एक तरफ सत्तापक्ष के लिए ज्यादा से ज्यादा योजनाओं को धऱातल पर लाना चुनौती है तो विपक्ष को सरकार की खामियों पर सदन और सड़क पर उतर संघर्ष करने की दवाब रहेगा। क्योंकि कांग्रेस का सबसे बड़ा टार्गेट है 2023 में सत्ता वापसी करना। कांग्रेस का चैलेंज है कि वो पंचायत चुनावों में दमदार मौजूदगी दर्ज कराए। ओबीसी आरक्षण पर मचे घमासान के बीच कांग्रेस असरदार भूमिका में नजर आए ये बेहद जरूरी है। साल 2022 में होने वाले नगरीय निकाय चुनावों में दमदार प्रदर्शन करना कांग्रेस के लिए बड़ा चैलेंज है। इसके अलावा इल सालभर में कांग्रेस को ये याद दिलाने की कोशिश करना होगा कि अल्प समय में भी उनकी यानि कमलनाथ सरकार ने जनहित के बड़े निर्णय लिये। मसलन किसानों की कर्ज माफी,बिजली बिल हॉफ जैसे कांग्रेस दावे नए साल में भी सुनने को मिलेंगे। कांग्रेस पार्टी को इस साल सबसे बड़ी उम्मीद है कि देशभर में महंगाई के खिलाफ माहौल का असर दिखेगा जिसका लाभ उन्हें मिलेगा और सबसे बड़ी चुनौती रहेगी टूट, भितरघात और गुटबाजी से उबरकर एकजुट काम करने की। कुल मिलाकर दोनों दल एक-दूसरे को सियासी झटके देने का कोई मौका ना छोड़ेंगे ये तय है।