कीरत सिंह पटेल, पिपरिया। पचमढ़ी में इन दोनों नागद्वार यात्रा चल रही है जिसे मध्य प्रदेश का अमरनाथ भी कहा जाता है। 13 किलोमीटर की दुर्गम पहाड़ी चढ़ाई के बाद यात्री नागद्वार गुफा पहुंच रहे हैं। अभी तक लाखों की संख्या में यात्री नागद्वार गुफा में दर्शन कर चुके हैं। यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा के इंतजाम जिला प्रशासन करता है। घने जंगलों में चल रही इस यात्रा में 13 किलोमीटर पैदल पहाड़ी के द्वारा दुर्गम रास्तों से पहुंचा जा सकता है। नागद्वार प्रकृति की गोद में बसा यह संसार अनुपम एवं अलौकिक है।
यात्रा के दौरान आपको अनेकों रमणीय रमणीय स्थान मिलेंगी, जो आपको रोमांचित कर देंगे। इन स्थानों से सफर तय करने के बाद जब आप नागद्वार गुफा के नजदीक पहुंचेंगे तो यहां का नजारा देख आप चकित रह जाएंगे। लंबी-लंबी कतारों में अपने इष्ट के दर्शन के लिए भक्त अपनी पारी का इंतजार कर रहे हैं। एक सकरी सी गुफा में आपको देखने मिलेगा की नागद्वार पर नागराज पहरा दे रहे हैं। लोगों की मानता है कि इस द्वार के आगे रास्ता नागलोक को जाता है, जहां जाना आम इंसान के बस में नहीं है।
नागद्वार क्षेत्र सतपुरा टाइगर रिजर्व के संरक्षित वन क्षेत्र में होने के कारण यह क्षेत्र पूरी तरह से वन विभाग की निगरानी में रहता है। यहां वर्ष भर आवाजाही पर प्रतिबंध लगा होने के कारण वर्ष में केवल नाग पंचमी के दौरान 10 दिनों के लिए ही खोला जाता है। यहां आने वालों श्रद्धालुओं में सर्वाधिक संख्या महाराष्ट्रीयन यात्रियों की होती है। महाराष्ट्र परिवहन लोगों को नागपुर से पचमढ़ी पहुंचने के लिए बस सेवा उपलब्ध कराता है, तो वहीं नर्मदापुरम जिला प्रशासन लोगों की सुरक्षा और सुविधा के इंतजाम करता है।
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