मुरैना। जिले के कालीन कारोबारियों के लिए अच्छी खबर है। अभी तक वे बिचौलियों के हाथों कालीन बेचकर बहुत कम मुनाफा कमा रहे थे, लेकिन अब प्रशासन की पहल पर मुरैना की कालीन को रिलायंस कंपनी खरीदेगी। प्रशासन इसके लिए एफपीओ ( किसान उत्पादक संगठन) बनाकर कालीन की ब्रांडिंग करने में सहयोग करेगा, जिससे कालीन कारोबारियों को अधिक मुनाफा मिल सके। बता दें कि मुरैना के घुर्रा, चैना, इस्लापुरा, जरेना, जौरा अलापुर गांव के करीब दस हजार लोग कालीन के कारोबार से जुड़े हैं। मुरैना के कालीन कारोबारियों के लिए अब जो बिचौलियों द्वारा उन्हें कम दामों में कालीन का पैसा दिया जाता था वह अब डायरेक्ट रिलायंस और ऐमजॉन कंपनियों को अपनी कालीन भी बेच सकेंगे। जिससे मुरैना के कालीन व्यापारियों को काफी फायदा होगा और यह पैसा उनकी एपीओ के खाते में आएगा, जिससे कोई भी बीच का बिचौलिया व्यापारियों को कोई नुकसान नहीं दे पाएगा।
चंबल अंचल की मुरैना जिले में 1 दर्जन से अधिक गांव के लोग कालीन बनाने का काम करती हैं, वह भी बिना मशीनों के हाथ से बहुत ही शानदार कालीन बनाई जाती है। मुरैना कलेक्टर अंकिता अस्थाना ने बताया कि जिले के कालीन व्यापारी लंबे समय से बिचौलियों के माध्यम से अपनी कालीन देश के कई हिस्सों में बेचने के लिए जाते थे, जिससे उन्हें काफी नुकसान होता था। कोरोना काल में इन्हीं कालीन के छोटे व्यापारियों का बड़ा नुकसान भी हुआ है। हालांकि अब जिला प्रशासन ने रिलायंस और ऐमजॉन के अधिकारियों से बात की है और आईएमओ साइन हो गया है। इससे अब इन लोगों की कालीन रिलायंस और ऐमजॉन कंपनी खरीदेंगे, जिससे बिचौलियों के माध्यम से जो कालीन बेची जा रही थी वह अब डायरेक्ट कंपनी के लोग आकर मुरैना से ही खरीदेंगे और इनको इनकी मेहनत का पूरा पैसा मिलेगा।
जिला पंचायत सीईओ इच्छित गढ़पाले ने बताया कि मुरैना की कालीन बेंगलुरु, कोचीन कर्नाटक, चेन्नई, भदोई यूपी, कानपुर, आगरा, दिल्ली, जयपुर सहित देश में अन्य ऐसे स्थान जहां टूरिस्ट पहुंचते हैं। वहां भी 50 प्रकार की कालीन होती है। कालीन करीब 50 प्रकार के डिजाइन में तैयार किया जाता है। इसमें मुगल कारपेट, मुगल गार्डन, खटरास, कविता, कुंभ, काशियान, मुगल तराश पर्दे का डिजाइन, अमरीश पर्दा, अफगानी कालीन सहित अन्य शामिल हैं। प्रशासन ने रिलायंस कंपनी से बात कर ली है। एफपीओ बनने के बाद जल्द ही उनके साथ कालीन कारोबारियों की बैठक कर प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा, प्रशासन ने एफपीओ के लिए अप्लाई किया है।
अभी तक ये कारोबारी बिचौलिए के माध्यम से कालीन विक्रय कर रहे थे।इसलिए मुनाफा कम मिल रहा था,लेकिन बड़ी कंपनियों से टाइअप हो जाएगा तो सीधे बिक्री होेने से कारोबारियों को उनके काम के बदले पर्याप्त दाम मिल सकेंगे। कारोबारी मोहम्मद आमीन कहते हैं कि हमारे लोग अभी तक ग्वालियर या अन्य शहरों में बेचने ले जाते हैं। लोगों का जैसा मन होता है, वैसी रेट लगाकर खरीदते हैं,कभी घाटा भी हो जाता है, लेकिन अब देखना होगा जिला प्रशासन की इस पहल के बाद व्यापारियों को कितना फायदा होता है यह तो आने वाला समय ही बता पाएगा, लेकिन इस पहल के बाद व्यापारियों के चेहरे कहीं ना कहीं चले तो नजर आ रहे हैं। IBC24 से सतेंद्र सिंह तोमर की रिपोर्ट
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