मुरैना। मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट से नौकरी पाने वाले 77 शिक्षकों की बर्खास्तगी के बाद दिव्यांग कोटे से भर्ती सभी शिक्षकों की मेडिकल बोर्ड से जांच के आदेश होने से हड़कंप है। अलग-अलग जिलों में 113 शिक्षक अपात्र होने के डर से जिला मेडिकल बोर्ड के सामने दिव्यांगता की जांच कराने ही नहीं पहुंचे। वहीं, जांच में अपात्र पाए जाने के डर से मुरैना के दो, छतरपुर के तीन और शिवपुरी के एक शिक्षक ने इस्तीफा दे दिया है।
दरअस, जांच के लिए पहुंचे शिक्षकों में ज्यादातर की दिव्यंगता संदिग्ध मिली। इसके बाद मेडिकल बोर्ड में इन्हें रीजनल बोर्ड से जांच कराने के लिए रेफर कर दिया है। श्योपुर, अशोकनगर, बैतूल, राजगढ़ में जिला मेडिकल बोर्ड ने परीक्षण करने से ही इनकार कर दिया। निवाड़ी, टीकमगढ़ में दो-दो, दमोह में तीन और शिवपुरी में एक शिक्षक जांच में फर्जी दिव्यांग निकले। मेडिकल परीक्षण से गैरहाजिर रहने वाले शिक्षकों ने अपनी अनुपस्थिति का कोई कारण न बताने के बाद भी विभाग ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की। वहीं, डॉक्टर्स ने विवादों से बचने के लिए परीक्षण करने से इनकार कर दिया।
मुरैना के डीईओ एके पाठक ने कहा- 22 शिक्षकों को दिव्यांग प्रमाण-पत्र के साथ मेडिकल के लिए जल्द बुलाएंगे, जो शिक्षक जांच से अनुपस्थित रहेंगे उनको सेवा से प्रथक करने की कार्रवाई की जाएगी। सबलगढ़ के जिन दो शिक्षक-शिक्षिका ने जांच से पहले पद से इस्तीफा दिया है, उनके दिव्यांग प्रमाण-पत्र जिला अस्पताल के बोर्ड से जारी नहीं होना पाए जाएंगे तो उनके खिलाफ FIR करवाई जाएगी। मुरैना जिले से सबसे अधिक फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट बने। 22 शिक्षकों का मेडिकल होना था, लेकिन जांच ही शुरू नहीं हुई। डीईओ एके पाठक ने दिव्यांगता के भौतिक परीक्षण का आदेश दिया तो जिले में शिक्षक विकास रावत और बिंतेश रावत ने इस्तीफा दे दिया। दूसरी ओर,श्योपुर में दिव्यांग कोटे के 29 शिक्षकों का मेडिकल चेकअप करने से जिला मेडिकल बोर्ड ने इनकार कर दिया। IBC24 से सतेंद्र सिंह तोमर की रिपोर्ट
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