भोपाल। Tourist Places of Madhya Pradesh : देश का हृदय कहलाने वाला मध्यप्रदेश अपनी सुंदरता और संस्कृति में विविधता के लिए मशहूर है। एमपी में हर साल देश-विदेश से पर्यटक घूमने के लिए आते है। मध्यप्रदेश ने अपनी झोली में सबके लिए कुछ न कुछ भर के ही रखा है। घूमने फिरने का शौक रखने वालों के लिए पंचमढ़ी, आध्यात्म से जुड़े लोगों के लिए उज्जैन में महाकाल, इतिहास में रुची रखने वालों के लिए भीमबेटका और महलों और प्रचीन मंदिरों को पसंद करने वालों के लिए मांडू, ओरछा, ग्वालियर आदि है। वो कहते है न ‘एमपी अजब है, सबसे गजब है’ क्योंकि जो कहीं देखने को नहीं मिलता वो एमपी में मिलता है। आईए जानते हैं एमपी के कुछ ऐसे ही गजब पर्यटन स्थलों के बारे में।
इंदौर से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर है गुलावट गांव, जिसे गुलावट घाटी या गुलावट वैली के नाम से भी जाना जाता है। आपको बता दें की यह वैली एशिया की सबसे बड़ी लोटस वैली है। यहां की झील में खूबसूरत सफेद और लाल कमल के फूल हैं। जब लोटस लेक में सारे कमल के फूल खिल जाते हैं तब झील की खूबसूरती देखते ही बनती है। प्राकृतिक संदरता के चलते यह जगह नौजवानों के बीच ज्यादा फेमस है। यहां पर पर्यटक झील में बोटिंग का मजा ले सकते हैं, इसके साथ ही हॉर्स राइडिंग की सुविधा भी आपको मिलेगी।
हनुवंतिया टापू को मिनी गोवा भी कहा जाता है। यह टापू मध्यप्रदेश के खण्डवा में स्थित है। प्राकृतिक सुंदरता की वजह से प्रसिद्ध हनुवंतिया टापू में लोग देश- विदेश से छुट्टियां मनाने आते हैं। गर्मियों के मौसम में यहां पर्यटकों की खासा भीड़ देखने को मिलती है। यहां हर साल दिसंबर-जनवरी में वॉटर फेस्टिवल मनाया जाता है। हनुवंतिया टापू पर लोग एडवेंचर स्पोर्ट्स जैसे की जेट स्कीइंग, ट्रेकिंग, वाटर स्पोर्ट, फ्लोटिंग, हॉट एयर बैलून के साथ ही जीप सफारी और एटीवी सवारी का भी मजा ले सकते हैं।
मध्य प्रदेश के मांडू को खंडहरों का गांव कहा जाता है। मांडू के खंडहर आज भी गुजरे हुए जमाने की गवाही देते हैं। मांडू को मांडवगढ़ भी कहा जाता है और यह शहर अपने किलों के लिए पुरी दुनिया में फेमस है। मध्य प्रदेश घूमने जा रहे हैं तो मांडू की इन जगहों पर जरूर घूमने जाईएगा सबसे पहले है मांडू का फेमस जहाज महल, इसका नाम जहाज के शेप के जैसे होने के कारण पड़ा है। वहीं दूसरा है मांडू का सबसे पुराना और सबसे बड़ा मकबरा जो की होशंग शाह का मकबरा है। इसके बाद है हिंडोला महल जो कि एक छोटा सा महल है, यह अपनी झूलती हुई छत के लिए जाना जाता है और अब अगर आप घूम-घूम कर थक गए हों तो रीवा झील पर शांती से बैठकर मौसम का लुफ्त भी उठा सकते हैं।
ओरछा को रामराजा की नगरी भी कहा जाता है। यह शहर बेतवा नदी के तट पर बसा है जिसे 16वीं शताब्दी में बुंदेला राजपूत रुद्र प्रताप ने स्थापित किया था। ओरछा में सुंदर महल के साथ-साथ भव्य मंदिर भी हैं। ओरछा में आप राम राजा मंदिर में ओरछा के राजा राम के दर्शन कर सकते हैं, एक समय में बुंदेला राजाओं के निवास के रूप में प्रसिद्ध राजा महल में भी घूमने जा सकते हैं, साथ ही फूलबाग मंदिर भी जा सकते हैं।
अनुपम प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर पंचमढ़ी हर साल लाखों पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है. पंचमढ़ी सतपुड़ा की हरी-भरी पहाड़ियों के बीचों-बीच स्थित है। यहां नदियों और झरनों के गीत पर्यटकों को मोहित करते हैं। यहां के जंगलों में बड़ी संख्या में बाइसन और तेंदुआ हैं। वहीं स्थानिय लोगों के मुताबिक पंचमढ़ी का नाता महाभारत से भी जुड़ा है। यहां के बारे में कहा जाता है की पांडव वनवास के समय पंचमढ़ी में ठहरे थे।
उज्जैन का नाम सुनते ही सबसे पहले महाकाल याद आते हैं इसीलिए इसे महाकाल की नगरी भी कहा जाता है। उज्जैन क्षिप्रा नदी के तट पर बसा है। महादेव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग उज्जैन के महाकाल हैं। यहां भगवान शिव के साथ-साथ कई देवी-देवताओं के मंदिर भी हैं। यह सिर्फ धार्मिक ही नहीं बल्कि एतिहासिक नगरी भी है। उज्जैन में हर 12 साल में कुंभ के मेले का आयोजन होता है। इस शहर के हर एक कोने में आपको आध्यात्मिक ऊर्जा का एहसास होगा।