भोपाल, सात नवंबर (भाषा) मध्यप्रदेश वन विभाग ने जंगली हाथियों के बचाव और पुनर्वास के बेहतर प्रबंधन के लिए सलाहकार समिति का गठन किया है। एक अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
यह कदम पिछले महीने मध्यप्रदेश के उमरिया जिले में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व (बीटीआर) में 10 हाथियों की मौत के बाद उठाया गया है।
अधिकारियों के अनुसार, यह ‘जहर’ का मामला नहीं था और विसरा रिपोर्ट से पता चला है कि विषाक्तता बड़ी मात्रा में कोदो बाजरा के पौधों के सेवन से आई थी।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) वीकेएन अंबाडे ने पीटीआई भाषा को फोन पर बताया, ‘अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) की अध्यक्षता में नौ सदस्यीय समिति के गठन के लिए बुधवार को एक आदेश जारी किया गया।’
उन्होंने कहा कि समिति में बाघ अभयारण्यों के क्षेत्रीय निदेशक और भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून से एक हाथी विशेषज्ञ शामिल होंगे।
अधिकारी ने कहा, ‘यह हाथियों को पकड़ने और उनके पुनर्वास के बारे में सलाह देगा। इससे जंगल में हाथियों के प्रबंधन को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। आप जंगली हाथी को हमेशा के लिए कैद में नहीं रख सकते।’
बीटीआर में पिछले सप्ताह एक आक्रामक हाथी ने दो लोगों को कुचलकर मार डाला और एक अन्य व्यक्ति को घायल कर दिया। रविवार शाम को हाथी को बेहोश कर, 34 घंटे से अधिक समय बाद पकड़ लिया गया।
बीटीआर के खलील रेंज के अंतर्गत सांखनी और बकेली में 29 अक्टूबर को चार जंगली हाथी मृत पाए गए थे, जबकि 30 अक्टूबर को चार और 31 अक्टूबर को दो अन्य की मौत हो गई थी।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इन मौतों के संबंध में एक उच्चस्तरीय जांच दल द्वारा अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद रविवार को बीटीआर के दो वरिष्ठ अधिकारियों को लापरवाही के आरोप में निलंबित कर दिया।
भाषा दिमो नरेश अविनाश
अविनाश
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