इंदौर, छह नवंबर (भाषा) बांधवगढ़ बाघ अभयारण्य (बीटीआर) में 10 हाथियों की मौत के बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा है कि सूबे के वन अधिकारियों को इस जीव की अधिक आबादी वाले राज्यों में प्रशिक्षण के लिए भेजा जाएगा।
उमरिया जिले में बीटीआर के खलील रेंज के अंतर्गत सांखनी और बकेली में 29 अक्टूबर को चार जंगली हाथी मृत पाए गए, जबकि 30 अक्टूबर को चार और 31 अक्टूबर को दो अन्य हाथियों की मौत हो गई थी।
यादव ने हाथियों की मौत को लेकर उच्च स्तरीय जांच दल के रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद बीटीआर के दो वरिष्ठ अधिकारियों को लापरवाही के लिए निलंबित कर दिया है।
मुख्यमंत्री ने इंदौर में मंगलवार रात संवाददाताओं से कहा, ‘हम असम, कर्नाटक और केरल सरीखे राज्यों में अपने अधिकारियों को (प्रशिक्षण के लिए) भेजेंगे जहां हाथियों की आबादी ज्यादा है। हम हाथी विशेषज्ञों का एक दल भी बना रहे हैं।’’
यादव ने कहा कि प्रदेश सरकार ऐसे इंतजाम करेगी कि जंगलों में हाथियों का संरक्षण हो और इस वन्य जीव के कारण इंसानी आबादी को कोई नुकसान भी न हो।
उन्होंने कहा, ‘‘मध्यप्रदेश के जंगलों में हाथी आमतौर पर रहते नहीं थे, लेकिन बदलते दौर में उन्हें सूबे की आबो-हवा पसंद आ गई है। बांधवगढ़ से लेकर उमरिया तक के जंगलों में 100 से ज्यादा हाथी स्थायी रूप से रुक गए हैं।’
यादव ने कहा कि हाथियों के संरक्षण के लिए मध्यप्रदेश सरकार पड़ोसी राज्यों से तालमेल बनाएगी और इस सिलसिले में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से उनकी सोमवार को ही चर्चा हुई है।
वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि 10 मृत हाथियों के विसरा में ‘‘न्यूरोटॉक्सिन साइक्लोपियाजोनिक एसिड’’ पाया गया है, लेकिन यह उन्हें जहर दिए जाने का मामला नहीं है।
इस मामले में प्रदेश सरकार के एक जांच दल की अगुवाई करने वाले अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) एल. कृष्णमूर्ति ने कहा कि विसरा रिपोर्ट इशारा करती है कि बड़ी मात्रा में कोदो (एक तरह का मोटा अनाज) के पौधों का सेवन करने से हाथी विषाक्तता के शिकार हुए थे।
भाषा हर्ष
मनीषा
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