मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने रातापानी बाघ अभयारण्य का उद्घाटन किया |

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने रातापानी बाघ अभयारण्य का उद्घाटन किया

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने रातापानी बाघ अभयारण्य का उद्घाटन किया

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Modified Date: December 13, 2024 / 10:32 PM IST
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Published Date: December 13, 2024 10:32 pm IST

भोपाल, 13 दिसंबर (भाषा) मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने शुक्रवार को रायसेन जिले में रातापानी बाघ अभयारण्य का उद्घाटन किया और कहा कि इसका नाम प्रसिद्ध पुरातत्वविद् डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर के नाम पर रखा जाएगा।

यादव ने अभयारण्य के लिए अनुमति देने हेतु प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त किया और कहा कि इससे राज्य में वन और वन्यजीवों को और बढ़ावा मिलेगा।

मुख्यमंत्री ने राज्य के आठवें बाघ अभयारण्य का उद्घाटन करने के बाद कहा, ‘देश के सभी राज्यों की राजधानियों में से भोपाल एकमात्र ऐसी राजधानी है जिसके पिछले हिस्से में रातापानी बाघ अभयारण्य है। अभयारण्य का नाम प्रसिद्ध पुरातत्वविद् विष्णु वाकणकर के नाम पर रखा जाएगा, जिन्हें विश्व धरोहर स्थल भीमबेटका रॉक गुफाओं की खोज का श्रेय दिया जाता है।’

भीमबेटका रातापानी अभयारण्य वन क्षेत्र में स्थित है।

मुख्यमंत्री ने बॉलीवुड अभिनेता रणदीप हुड्डा की मौजूदगी में झिरी गेट से अभयारण्य का उद्घाटन किया।

यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश का अगला नौवां बाघ अभयारण्य जल्द ही अधिसूचित किया जाएगा।

एक अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने राज्य में नौ बाघ अभयारण्यों को मंजूरी दी है, लेकिन राज्य सरकार ने अभी तक माधव बाघ अभयारण्य को अधिसूचित नहीं किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि रातापानी अभयारण्य से स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। इस उपलब्धि के महत्व को उजागर करने के लिए मोटरसाइकिल रैली का आयोजन भी किया गया।

उन्होंने कहा कि इस अभयारण्य ने भोपाल में पर्यटन गतिविधियों के लिए बड़ी संभावनाएं पैदा की हैं। होटल, लॉज और अन्य पर्यटन सुविधाएं रोजगार, कौशल और उद्यमिता के अवसर प्रदान करेंगी। राज्य सरकार इस दिशा में हर संभव सहयोग देने के लिए तैयार है।

यादव ने कहा कि रातापानी बाघ अभयारण्य को सर्वश्रेष्ठ अभयारण्य के रूप में विकसित किया जाना चाहिए और मध्यप्रदेश को पहले से ही बाघ राज्य का प्रतिष्ठित दर्जा प्राप्त है।

वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि रातापानी हमेशा से ही बाघों का घर रहा है और अब इसको अभयारण्य का दर्जा दिया गया है। रातापानी अभयारण्य में बाघों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है, जिससे यह क्षेत्र बाघों के लिए एक महत्वपूर्ण आवास बन गया है। रातापानी को 1976 में वन्यजीव क्षेत्र घोषित किया गया था। यह बाघों और कई अन्य जंगली जानवरों का घर है।

अधिकारी ने बताया कि यहीं पर लोग प्रकृति की विविधता को करीब से देख सकेंगे।

रायसेन और सीहोर जिले में रातापानी अभ्यारण्य का कुल क्षेत्रफल करीब 1,272 वर्ग किलोमीटर है। अधिकारी ने बताया कि इसमें से 763 वर्ग किलोमीटर कोर एरिया है, जहां बाघ बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के स्वतंत्र रूप से घूम सकते हैं। शेष 507 वर्ग किलोमीटर बफर जोन हैं, जिनका उपयोग कुछ प्रतिबंधों के साथ स्थानीय समुदायों के लिए किया जाएगा।

एनटीसीए और भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा जारी ‘बाघों की स्थिति: भारत में शिकारी और शिकार-2022’ रिपोर्ट के अनुसार, मध्यप्रदेश में देश में सबसे अधिक 785 बाघ हैं, इसके बाद कर्नाटक (563) और उत्तराखंड (560) का स्थान है।

कान्हा, सतपुड़ा, बांधवगढ़, पेंच, संजय डुबरी, पन्ना और वीरांगना दुर्गावती मध्यप्रदेश में अन्य बाघ अभयारण्य हैं।

भाषा

दिमो, रवि कांत

रवि कांत

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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