Jabalpur Loksabha Election 2024

Jabalpur Lok Sabha Election 2024 : 28 साल से जबलपुर में भाजपा का परचम..! बीजेपी और कांग्रेस ने इस बार खेला नए चेहरों पर दांव, कौन होगा जनता का भरोसेमंद? देखें पूरा कार्यक्रम

Jabalpur Loksabha Election 2024: लोकसभा चुनाव की सियासी तपिश के बीच हम आपको हर लोकसभा सीट की ग्राउण्ड रिपोर्ट दिखा रहे हैं।

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Reported By: Vijendra Pandey

Modified Date:  April 10, 2024 / 06:59 PM IST, Published Date : April 10, 2024/6:57 pm IST

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Jabalpur Lok Sabha Election 2024 : मध्य प्रदेश की सियासत में महाकोशल अंचल के सबसे बड़े शहर जबलपुर का किरदार हमेशा से अहम रहा है। यहां की सियासत का असर महाकोशल अंचल की सभी 4 लोकसभा और 38 विधानसभा सीटों पर नज़र आता है। आचार्य विनोबा भावे द्वारा संस्कारधानी की उपमा से नवाज़ा गया महाकोशल का मुख्यालय जबलपुर नर्मदा नदी की गोद में बसा हुआ है जहां प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता है। बावजूद इसके, उपेक्षा के आरोपों के चलते विकास के नक्शे पर जबलपुर, इंदौर-भोपाल से पिछड़ा नज़र आता है। हांलांकि जबलपुर की गिनती मध्य प्रदेश के तीसरे बड़े महानगर के रुप में होती है जो अपनी समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है। मौजूदा जबलपुर को भारतीय जनता पार्टी का गढ़ माना जाता है।

जबलपुर का राजनीतिक समीकरण

पहले आम चुनाव के बाद से सन् 1974 तक जबलपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस का एक छत्र राज था। सन् 1982 में पहली बार भाजपा को जबलपुर लोकसभा सीट पर जीत मिली लेकिन 2 साल बाद 1984 में कांग्रेस ने ये सीट फिर वापिस जीत थी। 1989 के आम चुनाव में इस सीट पर भाजपा की वापिसी हुई और 1991 में कांग्रेस ने इस सीट पर आखिरी बार कब्जा जमाया था। सन् 1996 से जबलपुर लोकसभा सीट पर लगातार भाजपा का झण्डा लहरा रहा है। 1996 में भाजपा के बाबूराव परांजपे जबलपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए थे और उनके बाद यहां भाजपा ने कभी हार का मुंह नहीं देखा। 1999 में भाजपा की जयश्री बैनर्जी जबलपुर लोकसभा सीट से सांसद चुनी गईं थीं।

चार बार राकेश सिंह की जीत

भाजपा के राकेश सिंह साल 2003, 2009,2014 और 2019 में लगातार 4 बार जबलपुर सीट से सांसद चुने गए। विधानसभा चुनाव में जीत के बाद राकेश सिंह ने लोकसभा से इस्तीफा दे दिया था जो अब प्रदेश सरकार में पीडब्लूडी मंत्री हैं। जबलपुर लोकसभा सीट पर राकेश सिंह के पिछले दो मुकाबले कांग्रेस के कद्दावर चेहरे विवेक तन्खा से हुआ था। 2014 में राकेश सिंह विवेक तन्खा से 2 लाख 8 हजार वोट से जीते थे। वहीं 2019 में उन्होने 4 लाख 54 हजार वोटों के अंतर से विवेक तन्खा को करारी शिकस्त दी थी। भाजपा उम्मीदवार राकेश सिंह को 826,454 वोट मिले, जो कुल वोटों का 65.41% था। दूसरी ओर, कांग्रेस के विवेक कृष्ण तन्खा को 371,710 वोट मिले, जो कुल वोटों का 29.42% था। चुनाव में राकेश सिंह को 4,54,744 वोटों से जीत मिली थी। 2019 में कुल मतदान प्रतिशत 69.46% रहा था।

वोटर्स का समीकरण

इधर 2011 की जनगणना के अनुसार, जबलपुर की कुल जनसंख्या 25,41,797 है, जिसमें से 59.74% शहरी और 40.26% ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है। अनुसूचित जाति की जनसंख्या 14.3% है, जबकि अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या 15.04% है। जबलपुर में 87 फीसदी आबादी हिंदू और करीब 8 फीसदी मुस्लिम है। अब जबलपुर लोकसभा क्षेत्र के 18 लाख 96 हजार वोटर अपना नया सांसद चुनने जा रहे हैं।

दोनों दलों के नए चेहरे

भाजपा और कांग्रेस दोनों ने इस चुनाव में नए चेहरों पर दांव खेला है। भाजपा ने अपने प्रदेश मंत्री आशीष दुबे को टिकट दी है तो कांग्रेस ने अपने पूर्व प्रदेश महासचिव दिनेश यादव को चुनाव मैदान में उतारा है। 2018 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले 2023 में कांग्रेस यहां कमजोर हो गई है। जबलपुर लोकसभा क्षेत्र में जबलपुर जिले की 8 विधानसभा सीटें आती हैं। 2018 में कांग्रेस और भाजपा यहां 4-4 सीटों पर काबिज थे लेकिन 2023 में कांग्रेस सिर्फ 1 सीट पर सिमट कर रह गई और भाजपा के कब्जे में अब जबलपुर की 8 में से 7 विधानसभा सीटें हैं। मुद्दों की बात करें तो जबलपुर के लोकसभा चुनाव में मंहगाई, राममंदिर जैसे केन्द्रीय मुद्दों के अलावा स्थानीय तौर पर विकास, उद्योग,रोज़गार के मुद्दे हावी हैं। भाजपा को यहां अपने संगठन की ताकत के बूते आशीष दुबे की जीत का भरोसा है तो कांग्रेस जातिगत समीकरणों से दिनेश यादव की जीत तलाश रही है।

 

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