People risking their lives to travel on the surging waves of Narmada जबलपुर। मध्यप्रदेश में मानसून कुछ इस कदर मेहरबान है कि जुलाई माह में ही बारिश रिकॉर्ड तोड़ने को आमादा है। महाकोशल अंचल में हो रही तेज बारिश से नर्मदा नदी उफान पर है। नर्मदा घाटों से डराने वाली तस्वीरें भी सामने आ रही हैं जहां लोग नर्मदा की उफनती लहरों पर अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं। दरअसल, जबलपुर में नर्मदा नदी के गौरीघाट पर दूसरे छोर में स्थित गांवों से शहर आने के लिए नाव का सहारा लेते हैं, लेकिन बारिश से उफनती नर्मदा में बिना सुरक्षा उपायों के ये सफर डरावना बन गया है।
जान जोखिम में डालकर शपर कर रहे लोग
जबलपुर में नर्मदा नदी के इस ग्वारीघाट पर रोज़ाना हज़ारों लोग आ रहे हैं। इनमें से कुछ तो माँ नर्मदा का विहंगम रुप निहार कर और यहाँ पूजा पाठ कर रवाना हो जाते हैं और कुछ तय करते हैं इसकी लहरों पर सफर। दरअसल, ग्वारीघाट के एक ओर पूरा जबलपुर शहर है और दूसरी ओर मंगेली,बरगी,सुकरी,मंगेला, बड़ैयाखेड़ा, दिखारी और चरगवां जैसे कई गांव हैं जिनतक नर्मदा नदी को पारकर जल्दी पहुंचा जा सकता है। ऐसे में उस पार के गांवों से शहर आने वाले लोग अपना साजो सामान और गाड़ियां भी साथ लेकर नाव में सवार होकर अपनी जान का जोखिम लेते हैं।
नाविकों का मानना – कभी नहीं डूब सकती नाव
कुछ लोग ग्वारीघाट के उस पार बने गुरुद्वारे भी जाने के लिए नदी पार करते हैं, लेकिन उन्हें अपनी जान की ज़रा भी परवाह नहीं होती। हांलांकि ये डराने वाली ही बात है कि नर्मदा की उफनती लहरों पर सफर करने वाले इन लोगों के पास सुरक्षा का कोई उपाय भी नहीं होता। नदी की उफनती लहरों पर बिना सुरक्षा उपायों का ये सफर कभी भी किसी गंभीर हादसे को अंजाम दे सकता है। बावजूद इसके नर्मदा के इस पार से उस पार नाव चलाने वाले मानते हैं कि उनकी नाव कभी नहीं डूब सकती। हालांकि ये नाव चालकों की मुगालता ही है कि वो सोचें कि उसकी नाव ओवरलोडिंग के बावजूद कभी नहीं डूब सकती।
पहले भी हो चुकी हैं घटनाएं
जबलपुर के इसी ग्वारीघाट पर पहले भी नाव पलटने की घटनाएं हुई हैं, जिसमें कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। ऐसी घटनाओं के मद्देनज़र ही मानसून सीज़न में नर्मदा के दूसरे घाटों की तरह यहां भी नाव संचालन पर रोक रहती है। जिला और पुलिस प्रशासन नें यहाँ होमगार्ड्स को नियुक्त कर रखा है ताकि लोग घाटों से दूर रहें और नदी में नावों का संचालन ना हो, लेकिन रोक सिर्फ कागज़ों पर है इसकी हकीकत कुछ है। हालांकि गौरीघाट में सुरक्षा व्यवस्था होमगार्ड के चंद जवानों के हवाले है जो खुद अपनी इकलौती मोटरबोट के भरोसे इस बड़े क्षेत्र में पेट्रोलिंग करते हैं।
दूसरी तरफ लोग अपना समय बचाने के लिए सड़क मार्ग से बीस से पच्चीस किलोमीटर जाने की बजाए नर्मदा की लहरों पर ही सफर करते हैं जो बारिश के इन दिनों खतरनाक बना हुआ है। हांलांकि जबलपुर विकास प्राधिकरण नें अपनी नर्मदा पार आवासीय योजना के लिए गौरीघाट में इस पार से उस पार,पुल बनाने का प्रावधान किया था लेकिन योजना का क्रियान्वयन भविष्य के गर्भ में है और डरावना वर्तमान सबके सामने है। IBC24 से विजेंद्र पांडे की रिपोर्ट
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