Number of ponds decreased from 52 to 26 in Jabalpur जबलपुर। तालाबों के लिए मशहूर जबलपुर अब तालाबों के लिए ही महरूम होने लगा है। जबलपुर में कभी 52 तालाब हुआ करते थे, जिसमे से अब बमुश्किल सिर्फ 26 ही बचे है। इन तालाबों का पानी अब प्रदूषित होने लगा है। आलम ये है कि तालाबो में बढ़ रहा प्रदूषण पानी में रहने वाले जीव-जंतुओ के लिए जहा जानलेवा साबित हो रहा है। वहीं, लोगों के लिए भी तालाबों का पानी कई रोगों की जननी बन रहा है, जिसका खुलासा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जांच में भी हुआ है।
दरअसल, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जबलपुर के तालाबों के पानी की जाँच की तो उसमें प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वैज्ञानिकों ने पाया की शहर के आधा दर्जन तालाब हनुमानताल, सूपाताल, देवताल, गोकलपुर, और गंगा सागर तालाब ऐसे हैं, जिनका पानी दूषित होकर खराब हो चुका है और वह उपयोग करने लायक नहीं है। प्रदूषण नितंत्रण बोर्ड के अनुसार तालाबों के पानी के प्रदूषित होने की सबसे बड़ी वजह इन तालाबों के चारों तरफ बने मकान है। इन मकानों से उपयोग के बाद निकलने वाला पानी तालाबों के पानी को लगातार प्रदूषित कर रहा है।
ये बात नेताओं के साथ नगर निगम और जिला प्रशासन के अधिकारी भी भली भांति जानते है, लेकिन आज तक इस ओर कोई ध्यान नही दिया गया है। क्योंकि जबलपुर को महानगर बनाने का सपना देखने वाले नेताओ और सरकारी अफसर इन तालाब कि जमीनों को बिल्डरों के हाथो में बिना सोचे समझे सौपते गए। नतीजतन आबादी के हिसाब से देखा जाए तो पहले लगभग 5 लाख कि जनसंख्या पर 52 तालाब होते थे, लेकिन आज शहर कि आबादी 22 लाख से भी ज्यादा हो गयी है। तालाब घटकर महज 26 ही रह गए, जिसकी वजह से जबलपुर का भू जल स्तर लगातार गिरता जा रहा है। IBC24 से अभिषेक शर्मा की रिपोर्ट
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