विजेंद्र पांडे, जबलपुर:
Nagar Sethani: जबलपुर शहर में दुर्गा उत्सव का अनूठा इतिहास है। यहां एक से बढ़कर एक दुर्गा प्रतिमाएं बरसों से स्थापित की जाती है। कुछ तो ऐसी भी हैं जिनकी स्थापना अंग्रेजी शासनकाल से ही की जाती है और खास बात ये कि तब से लेकर अब तक इनके स्वरुप में जरा भी बदलाव नहीं आया। माता की ये प्रतिमाएं करोड़ों रूपए के जेवर पहनती है। जबलपुर के सराफा बाजार के सुनरहाई में नगर सेठानी के रुप में माता दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाती है।
कहा जाता है नगर सेठानी
माना जाता है कि यहां की धूल में भी सोना-चांदी पाया जाता है। इनके जेवरों से अनूठी आभा निकलती है जो कि अपने आप में रहस्यात्मक और आकर्षित करने वाली है। जो कि हर साल बढ़ते ही जाते हैं। इन्हें नगर की सेठानी के नाम से जाना जाता है। इनके जेवर सर्वाधिक आकर्षण का केंद्र हर साल ही होते हैं। ये आधा क्विंटल से अधिक के गहने धारण करती हैं। जिनमें सोना-चांदी ही नहीं हीरा-माणिक और मोती के जेवर भी शामिल होते हैं।
पारंपरिक आभूषणों से होता है श्रृंगार
Nagar Sethani: इनके वस्त्र आभूषण पूरी तरह बुंदेली, आदिवासी संस्कृति के समान ही होते हैं। कुछ ऐसे होते हैं इनके जेवरदोनों प्रतिमाओं का आज भी पारंपरिक आभूषणों से श्रृंगार किया जाता है। इनमें माता के गले में बिचोहरी, पांजणीं, मंगलसूत्र, झुमका, कनछड़ी, सीतारामी तीन, रामीहार दो, आधा दर्जन हीरों से जडि़त नथ,बेंदी, गुलुबंध, मोतियों की माला। हाथों में गजरागेंदा, बंगरी, दोहरी, ककना, अंगूठी, बाजुबंध, कमरबंध, लच्छा, पैरों में पायजेब, तोड़ल, बिजौरीदार,पैजना और पायल शामिल है। जिनकी कीमत करोड़ों रुपए है।
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