इंदौरः मध्यप्रदेश के इंदौर की रेसीडेंसी कोठी का नाम बदल गया है। अब इसे शिवाजी कोठी (शिवाजी वाटिका) के नाम से जाना जाएगा। शुक्रवार को हुई इंदौर मेयर इन काउंसिल की बैठक में यह फैसला लिया गया है। 204 साल पहले रेसीडेंसी कोठी का निर्माण किया गया था। महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने आईबीसी 24 से खास बातचीत में महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि 200 साल पुराना इतिहास गुलामी का है। रेसीडेंसी का जब नाम सुनते हैं तो अंग्रेजों के शासनकाल की याद आती है। प्रधानमंत्री जी ने भी कहा है कि गुलामी के जितने चिन्ह हैं, उन्हें हमें खत्म करना है। शिवाजी हमारे लिए प्रेरणा, तेज और वीर का पर्याय हैं। उनके नाम पर किसी नाम होगा तो हमें प्रेरणा ही मिलेगी।
मेयर इन काउंसिल की बैठक में लिए गए इस फैसले को लेकर प्रदेश में सियासत भी गर्म हो गई है। मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश महासचिव ने सोशल मीडिया नेटवर्क एक्स पर नामकरण के विरोध में पोस्ट करते हुए लिखा है कि इंदौर में रेसीडेंसी कोठी का नामकरण देवी अहिल्या रेसीडेंसी कोठी रखना था। इंदौर विकसित करने में होलकर राजाओं का सर्वाधिक योगदान हैं। देवी अहिल्या बाई होलकर की उपेक्षा की गई है। महाराष्ट्र चुनाव में वोट बैंक के लिए शिवाजी के नाम पर नामकरण किया गया है।
नामकरण को कांग्रेस की ओर से बयान आने के बाद महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि कांग्रेस क्या कह रही है? इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। महापुरुषों के नाम पर राजनीति नहीं होना चाहिए। शहर में गुलामी के प्रतीक स्थानों का नाम लगातार बदलने का काम हो रहा है।
‘Ramnivas Rawat न घर के रहे और न घाट के’।…
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