Controversy in Mhow across tribals: इंदौर । इंदौर के महू में आदिवासी युवती की संदिग्ध मौत से शुरू हुए बवाल में एक बेकसूर आदिवासी युवक की मौत हो गई। बुधवार रात भड़की आग की तपिश राजधानी भोपाल तक पहुंची और सदन से लेकर सियासी गलियारों तक में इस पर हंगामा मचा रहा। विपक्ष ने आदिवासियों पर जुल्म का आरोप लगाया, सरकार को कठघरे में खड़ा किया और पुलिस पर भी ऊंगलियां उठी। सरकार की ओर से मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए गए और कांग्रेस ने भी जांच टीम गठित कर दी। आदिवासी की मौत पर सियासी बवाल के इसी मुद्दे पर आज की डिबेट का नाम रखा है- महू में तकरार, आदिवासियों पर आरपार।
इंदौर के महू में बुधवार रात एक आदिवासी युवती की संदिग्ध मौत के बाद जमकर बवाल हुआ। गुस्साए लोगों ने पुलिस पर पथराव और गाड़ियों में तोड़फोड़ की। हालात पर काबू पाने के लिए पुलिस ने आंसू गैस छोड़े, लाठीचार्ज किया और फिर हवाई फायरिंग भी करनी पड़ी। हवाई फायरिंग में एक आदिवासी युवक की मौत हो गई.. हंगामे के कारण कई पुलिसकर्मी और प्रदर्शनकारी भी घायल हुए हैं। गुरुवार को इस घटना की गूंज विधानसभा में सुनाई दी। कांग्रेस विधायकों ने गर्भगृह में नारेबाजी करते हुए वॉकआउट कर दिया। इसके साथ ही जांच के लिए आदिवासी विधायकों की कमेटी भी बनाई है।
महू की घटना पर राज्य सरकार बेहद संजीदा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं। मृतक के परिवार को 4 लाख की आर्थिक सहायता दी गई है। इसके साथ ही गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कांग्रेस को नसीहत दी है कि संवेदनशील मुद्दों पर राजनीति नहीं करनी चाहिए।
बहरहाल, महू की इस घटना ने कांग्रेस को बैठे-बिठाए एक मुद्दा दे दिया है। पार्टी नेता आदिवासी सेंटिमेंट को भुनाने की कोशिश में भी जुट गए हैं। सवाल है कि आदिवासियों का आक्रोश क्यों भड़का और इन सब का दोषी कौन है? क्या आदिवासियों के नाम पर सिर्फ राजनीति हो रही है.. ये बड़ा सवाल है?
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