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भोपालः HC on MPPSC Main Exam मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य लोक सेवा आयोग (MPPSC) को बड़ा झटका दिया है। वर्गवार कट-ऑफ अंक जारी न करने और आरक्षित वर्ग के मेधावी अभ्यर्थियों को अनारक्षित पदों पर चयन से वंचित करने के आरोपों के चलते हाईकोर्ट ने MPPSC मुख्य परीक्षा 2025 पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने प्रीलिम्स परीक्षा के कैटेगरी वाइज कट ऑफ मार्क्स की रिपोर्ट पेश करने के भी निर्देश दिए हैं।
HC on MPPSC Main Exam दरअसल, लोक सेवा आयोग ने 5 मार्च 2025 को राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम घोषित किया था, जिसमें कुल 158 पदों के लिए उम्मीदवारों का चयन किया गया, लेकिन वर्गवार कट ऑफ मार्क्स जारी नहीं किए गए थे। जबकि इससे पहले की सभी परीक्षाओं में वर्गवार कट ऑफ अंक जारी किए जाते रहे हैं। इसी को लेकर भोपाल निवासी सुनीता यादव, नरसिंहपुर निवासी पंकज जाटव और बैतूल निवासी रोहित कावड़े ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के अलग-अलग फैसलों को बायपास करते हुए पीएससी ने अनारक्षित पदों के खिलाफ आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा के लिए चयनित नहीं किया है। अनारक्षित पद सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित करके प्रारंभिक परीक्षा का रिजल्ट जारी किया है। कोर्ट को बताया गया कि आयोग ने इस असंवैधानिक गलती को छुपाने के मकसद से 2025 की प्रारंभिक परीक्षा में कट ऑफ मार्क्स भी जारी नहीं किए गए हैं। जबकि नियमानुसार हर एक चरण की परीक्षा में वर्गवार कट ऑफ अंक जारी किए जाने का प्रावधान है। कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए मध्यप्रदेश राज्य सेवा मुख्य परीक्षा-2025 पर रोक लगा दी। प्रीलिम्स परीक्षा के कैटेगरी वाइज कट ऑफ मार्क्स की रिपोर्ट पेश करने के भी निर्देश दिए हैं।
हाईकोर्ट की रोक के बाद नेता प्रतिपक्ष ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा कि मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने MPPSC मुख्य परीक्षा 2025 पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश को बायपास करते हुए, बीजेपी सरकार ने आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान अभ्यर्थियों को अनारक्षित सीटों पर शामिल नहीं किया और वर्गवार कटऑफ अंक भी जारी नहीं किए। इस स्पष्ट अन्याय के खिलाफ याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट का रुख किया और हाईकोर्ट ने पीएससी को निर्देश दिया कि 15 अप्रैल से पहले वर्गवार कटऑफ मार्क्स और आरक्षित वर्ग के उन अभ्यर्थियों का डेटा पेश करें जिन्हें अनारक्षित सीटों पर चयनित किया गया था। क्या यही है बीजेपी सरकार का न्याय और समावेशी विकास का वादा है? क्या सबका साथ सिर्फ दिखावा है? क्या विकास का मतलब सिर्फ कुछ ही लोगों तक सीमित है?