भोपाल। मध्य प्रदेश के हरदा में मंगलवार को पटाखा फैक्ट्री में जोरदार धमाका हुआ। ये धमाका इतना तेज था कि पूरे शहर में इसकी आवाज सुनाई दी। धमाके की वजह से सड़क पर चल रहे कई राहगीर वाहन समेत दूर उछल गए। इसके बाद भी कई धमाके हुए और आग की लपटें और धुएं का गुबार दूर से देखा जा सकता था। एक बाद एक धमाकों से करीब 60 घरों में आग लग गई। एहतियातन 100 से ज्यादा घरों को खाली कराया गया है। आनन फानन में आस पास के जिलों से रेस्क्यू टीम बुलाकर राहत बचाव शुरू हुआ। घायलों को स्थानीय अस्पताल के साथ भोपाल और इंदौर तक रेफर किया गया।
अधिकारियों के मुताबिक ये फैक्ट्री 40 साल से चल रही थी। फैक्ट्री में 1300 लोग रजिस्टर होने की बात सामने आई है। मंगलवार को सैलरी का दिन होने की वजह से अधिकतर कर्मचारी फैक्ट्री पहुंचे थे। इसलिए हताहतों की संख्या बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
इस दर्दनाक हादसे पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई नेताओं ने दुख जताया है। मृतक के परिजनों को केंद्र सरकार की ओर से 2 लाख, घायलों को 50 हजार रुपए दिए जाएंगे। साथ ही एमपी सरकार ने मृतकों के परिजन को चार-चार लाख रुपए की सहायता राशि और घायलों का मुफ्त इलाज करने की घोषणा की है। साथ ही जांच कमेटी भी गठित कर दी गई है। भोपाल में घायलों से मिलने पहुंचे मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा कि दोषियों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई होगी, जो नजीर बनेगी।
हरदा पर हादसे की बाकायदा सियासत भी शुरू हो चुकी है। नेता प्रतिपक्ष ने ट्वीट कर सवाल उठाए हैं। इसके साथ ही जांच के लिए कांग्रेस ने दो सदस्यीय कमेटी बनाई है। बहरहाल, बताया जा रहा है कि पूर्व में शिकायत के बाद फैक्ट्री को सील किया गया था। लेकिन, सवाल है कि शहर के रिहायशी इलाके में 40 साल से फैक्ट्री कैसे चल रही थी? आखिर प्रशासन ने अब तक क्यों आंखें बंद रखी ? हरदा हादसे में मौत का जिम्मेदार कौन है? ये सबसे बड़ा सवाल है।
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