Scindia family wants to become kingmaker, why not king?

MP Assembly Elections 2023: सिंधिया परिवार किंगमेकर बनना चाहता है, किंग क्यों नहीं? क्यों मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहते सिंधिया, जाने क्या है इसके पीछे की वजह

MP Assembly Elections 2023: सिंधिया परिवार किंगमेकर बनना चाहता है, किंग क्यों नहीं? क्यों मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहते सिंधिया, जाने क्या है इसके पीछे की वजह

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Reported By: Nasir Gouri

Modified Date: October 29, 2023 / 03:18 PM IST
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Published Date: October 29, 2023 3:18 pm IST

ग्वालियर: Jyotiraditya Scindia: मध्य प्रदेश में जब राजनीति की बात होती है, तो सिंधिया परिवार का नाम पहले ही जुबान पर आ जाता है। कहा जाता है कि  सिंधिया परिवार को किंग मेकर बनना पंसद है, लेकिन किंग नहीं है। इसलिए उसकी तीन पीढ़ियां सूबे के तीन बार मुख्यमंत्री बन सकती थी, लेकिन नहीं बनी। पहली दफा, डीपी मिश्रा की सरकार फिर अर्जुन सिंह की सरकार के समय और कमलनाथ सरकार गिराने के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया मुख्यमंत्री बन सकते थे, लेकिन नहीं बने। अगर देखा जाएं तो जनसंघ के नेता और बीजेपी की फाउंडर मेंबर राजमाता विजयाराजे सिंधिया से लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया तक इस परिवार की तीन पीढ़ियां मध्य प्रदेश निर्माण के बाद से राजनीति में सक्रियता चली आ रही है। जनमत होने के बावजूद भी सिंधिया परिवार का कोई भी सदस्य आज तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के पद तक नहीं पहुंच सका।

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माधवराव सिंधिया मुख्यमंत्री में हुए थे शामिल

ऐसे में कहा जाता है कि सिंधिया परिवार किंगमेकर बनाना चाहता है। राजनीतिक विश्लेषक इसके पीछे कई कारण बताते हैं। ऐसा इसलिए साल 1967 में तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारका प्रसाद मिश्र से विवादों के चलते राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने सरकार गिरा दी। खुद मुख्यमंत्री न बनते हुए गोविंद नारायण सिंह को मुख्यमंत्री बनवाया। उसके बाद दो बार स्वर्गीय माधवराव सिंधिया मुख्यमंत्री बनते-बनते रह गए। 1989 में माधवराव सिंधिया का नाम मुख्यमंत्री की दौड़ में था। ये लगभग तय माना जा रहा था कि माधवराव सिंधिया ही अगले मुख्यमंत्री होंगे, लेकिन अर्जुन सिंह इस्तीफा देने को राजी नहीं थे।

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ज्योतिरादित्य सिंधिया ने छोड़ा था कांग्रेस

कांग्रेस में गुटबाजी के चलते माधवराव सीएम बनते-बनते रह गए और अंततः मोतीलाल वोरा को सीएम का पद सौंपा गया। इसके बाद 1993 में भी माधवराव सिंधिया का नाम मुख्यमंत्री की दौड़ में आगे था। लेकिन फिर गुटबाजी के चलते सिंधिया के विरोधी दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री बन गए। साल 2019 में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस पार्टी का दामन छोड़ दिया। अपने समर्थक विधायकों समेत ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। इस तरह कांग्रेस को 15 साल बाद सत्ता में लाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया की वजह से ही कांग्रेस की सरकार गिर गई।

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सिंधिया चाहते तो सशर्त पर मुख्यमंत्री बन सकते थे। लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया नहीं बने। सिंधिया परिवार के परिवारिक मित्र मानते है। सिंधिया परिवार ने चाहकर भी मुख्यमंत्री नहीं बना है। क्योंकि चार ऐसे मौके थे, तब सिंधिया परिवार की तीन पीढ़ियों का व्यक्ति मुख्यमंत्री बन सकता था। क्योंकि ये फैमली, किंग मेकर बनना चाहती है, किंग नहीं। वैसे देखा जाएं अब ज्योतिरादित्य सिंधिया केंद्रीय राजनीति में हैं। वे केंद्रीय नागरिक और उड्डयन मंत्री हैं। हालांकि प्रदेश की राजनीति में वे अभी भी सक्रिय भूमिका में नजर आ रहे हैं।

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Jyotiraditya Scindia: ज्योतिरादित्य सिंधिया समय-समय पर प्रदेश की जनता के बीच उनके मुद्दे उठाते हुए दिखाई देते हैं। फिलहाल भाजपा के कई नेता कह चुके हैं कि शिवराज सिंह चौहान ही उनका सीएम फेस हैं, लेकिन बीच-बीच में ज्योतिरादित्य सिंधिया के नाम की भी चर्चा होती रहती है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि क्या सिंधिया परिवार को कभी मध्य प्रदेश की सत्ता नसीब हो पाएगी।

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