ग्वालियर। पूर्व विधानसभा से विधायकी छोड़ ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में जाने वाले मुन्नालाल गोयल की इस बार टिकट कटने को लेकर एक दिन में ही नाराजगी कम हो गई है। ज्योतिरादित्य से मुलाकात के बाद मुन्नालाल ने समर्थकों को भाजपा उम्मीदवार माया सिंह का नाम लिए बगैर समर्थकों से पार्टी के लिए काम करने की बात कही। इस बारे में उन्होंने मलाल जताते हुए कहा कि मैं पार्टी छोडक़र नहीं जा रहा। उन्हें और उनके समर्थकों आमंत्रित किया। इस दौरान को टिकट कटने का दुख नहीं है, बल्कि विश्वास की हत्या हो जाने का है।
दरअसल, ग्वालियर पूर्व से सिंधिया समर्थक मुन्नालाल गोयल दावेदारी जता रहे थे। 2019 में विधायकी छोड़ भाजपा में आए तब उपचुनाव में उन्हें उम्मीदवार बनाया गया था। उस चुनाव में वे कांग्रेस के सतीश सिकरवार से चुनाव हार गए थे। हार के बाद भी भाजपा ने सरकार में आने के बाद उन्हें मध्यप्रदेश बीज निगम का अध्यक्ष बनाकर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया था। इस सीट पर सिंधिया की मामी माया सिंह को भाजपा से उम्मीदवार बनाए जाने को लेकर विरोधी तेवर अपनाए थे।
बता दें कि राजनीतिक इतिहास में पहली बार उनके समर्थक महल के अंदर तक विरोध जताने पहुंच गए थे। समर्थकों ने ज्योतिरादित्य को गाड़ी से उतरकर उनके साथ बैठने को मजबूर कर दिया। बताया जा रहा है कि इस बात से ज्योतिरादित्य नाराज थे। उसे देखकर मुन्नालाल ने यू टर्न लेते हुए विरोध को खत्म कर दिया। मुन्ना ने प्रत्याशी माया सिंह का नाम न लेते हुए कहा, टिकट न मिलने से मैं और मेरे कार्यकर्ता आहत थे, इसके लिए वे विरोध पर उतर आए।
मुन्नालाल ने कहा कि प्रत्याशी का टिकट महत्वपूर्ण नहीं होता। जनता के बीच उसकी स्वीकार्यता ही उसे चुनाव जिताती है। लेकिन, जो लोग जनता में एक दिन भी गए नहीं, जिनका नाम सर्वे में कहीं नहीं था उनको टिकट दे दिया गया और जिन लोगों ने पिछले तीन वर्षों में अपना एक-एक पल जनता के बीच बिताकर भाजपा को मजबूती देने का काम किया। ऐसे कार्यकर्ताओं को टिकट से वंचित कर उनके संघर्ष की हत्या की गई। महापौर चुनाव में जो षड्यंत्र हुआ था, ग्वालियर पूर्व विधानसभा में भी इस इसकी पुनरावृत्ति हुई है। टिकट के फैसले से पूर्व पार्टी हाईकमान चर्चा करेगा इतने विश्वास एवं नैतिक साहस की उम्मीद विधानसभा क्षेत्र के कार्यकर्ताओं को थी।
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