Kisano ka Karj Mafi Hogi Hi

‘सरकार तो कर्जमाफी करेगी ही फिर क्यों भुगतान करना’ उम्मीद में किसान, डूब सकते हैं जिला सहकारी बैंक के करोड़ो रुपए

'सरकार तो कर्जमाफी करेगी ही फिर क्यों भुगतान करना' डूब सकते हैं जिला सहकारी बैंक के करोड़ो रुपए! Kisano ka Karj Mafi Hogi Hi

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Modified Date: June 2, 2023 / 05:42 PM IST
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Published Date: June 2, 2023 5:42 pm IST

ग्वालियर: Kisano ka Karj Mafi Hogi Hi  आगामी दिनों में प्रदेश में विधानसभा चुनाव होना है। चुनाव को लेकर एक बार फिर किसानों को उम्मीद है कि कर्जमाफी का वादा किया जा सकता है। लेकिन किसानों उम्मीद बैंक वालो के लिए मुसीबत का कारण बनते जा रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि कर्जमाफी की आस लगाए बैठे किसान लोन का भुगतान करने को तैयार ही नहीं हैं। वहीं, अब कर्ज का भुगतान नहीं कर रहे किसानों के खिलाफ एक्शन लेने की तैयारी कर रही है।

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Kisano ka Karj Mafi Hogi Hi  दरअसल कर्ज माफ किए जाने की उम्मीद में ग्वालियर जिले के 16 हजार 92 किसानों ने जिला सहकारी केंद्रीय बैंक ग्वालियर से लिए ऋण की एक भी किस्त नहीं लौटाई है। इससे बैंक के 91 करोड़ रुपए डूबने की स्थिति में पहुंच गए हैं। अब बैंक प्रबंधन इन किसानों के खिलाफ सहकारी न्यायालय में प्रकरण पेश करने की तैयारी कर रहा है। जिला सहकारी केंद्रीय मर्यादित बैंक ने साल-1995 से साल-2018 तक जिले के किसानों को यह ऋण वितरित किया था। लेकिन ऋण लेने के बाद किसानों ने किस्तें जमा नहीं कीं। वहीं बीजेपी के सांसद विवेक शेजवलकर का कहना है कि उनकी सरकार ने लोन पर ब्याज माफ करके राहत दी है, मूल को माफ नही करेंगी।

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बैंक प्रबंधन ने ऋण नहीं चुकाने वाले सभी 16092 किसानों को सूचीबद्ध कर लिया है। उनके खिलाफ धारा- 64, 84 के तहत सहकारी न्यायालय में प्रकरण पेश किए जा रहे हैं। प्रबंधन का मानना है कि कानूनी प्रक्रिया के तहत ऋणी कृषकों से धनराशि वसूल करने की कार्रवाई की जाएगी। तो वहीं मौजूदा स्थिति में किसानों के एंकाउट एनपीए यानि की नॉन परफॉरमेंस अकाउंट हो गए हैं। लेकिन कांग्रेस आज भी दम भर रही है, वह फिर से सत्ता में आएंगी ओर किसानों के लोन माफ करेंगी।

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बहरहाल अक्सर चुनाव के दौरान किसानों के ऋण माफ किए जाने की घोषणाएं होती हैं। पूर्व में हो चुकी ऋण माफी के दौरान उन कृषकों ने स्वयं को ठगा महसूस किया, जिन्होंने ऋण की विधिवत किस्तें जमा कीं। उन किसानों के ऋण माफ कर दिए गए, जिन्होंने बैंक का ऋण नहीं चुकाया था। ऐसे में ईमानदारी से ऋण राशि लौटाने वाले किसान भी उसी परिपाटी पर चल पड़े हैं।

 

 

 

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