स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण पर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाये सरकार : कांग्रेस |

स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण पर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाये सरकार : कांग्रेस

स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण पर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाये सरकार : कांग्रेस

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:57 PM IST
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Published Date: May 12, 2022 7:57 pm IST

भोपाल, 12 मई (भाषा) मध्य प्रदेश में विपक्षी कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को मांग की कि राज्य विधानसभा का एक दिवसीय विशेष सत्र बुलाकर प्रदेश के अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लोगों को 27 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए संविधान में संशोधन कराने के उद्देश्य से केंद्र से अनुरोध वाले एक प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित करवाया जाए।

कांग्रेस की यह मांग अदालत के फैसले के दो दिन बाद आई है जिसमें उच्चतम न्यायालय ने राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) को ओबीसी कोटा के बिना दो सप्ताह के अंदर मप्र में स्थानीय निकाय के चुनावों को अधिसूचित करने का निर्देश दिया। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि 2010 के संविधान पीठ के फैसले में जिस त्रि-परीक्षण प्रक्रिया का जिक्र किया गया है, उसे जब तक पूरा नहीं कर लिया जाता, तब तक अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए किसी आरक्षण का प्रावधान नहीं किया जा सकता।

विधानसभा में विपक्ष के नेता डॉ गोविंद सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिखे पत्र में कहा कि सत्तारूढ़ भाजपा 23 दिसंबर 2021 को सदन में एक प्रस्ताव लायी थी। इसमें प्रदेश में ओबीसी के लोगों के आरक्षण के बगैर त्रिस्तरीय पंचायत के चुनाव न कराये जाने का संकल्प था जिसे सदन में सर्वसम्मति से पारित किया था।

उन्होंने कहा कि संकल्प पारित किये जाने के दौरान मुख्यमंत्री ने सदन में कहा था कि सरकार सर्वोच्च न्यायालय में अपने पक्ष को पूरी ताकत के साथ रखेगी

कांग्रेस नेता ने कहा कि हालांकि भाजपा सरकार के उच्चतम न्यायालय में ओबीसी आरक्षण के संबंध में ठोस तथ्य प्रस्तुत न किये जाने के कारण ओबीसी के पक्ष में सर्वोच्च अदालत का निर्णय नहीं आया है।

उन्होंने कहा, ‘‘ ऐसी स्थिति में यह आवश्यक है कि मध्य प्रदेश विधानसभा का एक दिवसीय विशेष सत्र बुलाया जाये। इस सत्र में एक प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया जाये जिसमें केंद्र सरकार से अनुरोध हो कि प्रदेश के ओबीसी वर्ग के लोगों को 27 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए संविधान में संशोधन किया जाये।’’

मालूम हो कि शीर्ष अदालत ने मंगलवार को अपने आदेश में कहा कि मध्य प्रदेश के 23,000 से अधिक स्थानीय निकायों में चुनाव लंबित हैं।

शीर्ष अदालत ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया में देरी नहीं की जा सकती, क्योंकि पांच साल की अवधि समाप्त होने पर अवरोध की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी और समय पर चुनाव कराना प्राधिकारियों का संवैधानिक दायित्व है।

भाषा दिमो

रंजन माधव

माधव

 

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