जबलपुर, 24 जनवरी (भाषा) मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने एक सरकारी महाविद्यालय के प्रशासन पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल होने के लिए बाध्य करने का आरोप लगाने वाले एक व्याख्याता की याचिका को राज्य सरकार के इस आश्वासन के बाद निस्तारित कर दिया कि वह इस मामले को देखेगी।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि सीधी जिले के मझौली के एक सरकारी महाविद्यालय का प्रशासन उसे संघ से जुड़ने के लिए बाध्य कर रहा है। याचिकाकर्ता इस महाविद्यालय में अतिथि अध्यापक है।
न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल ने बुधवार को याचिकाकर्ता के दावे के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी किये बिना यह याचिका निस्तारित कर दी।
पीठ ने कहा कि राज्य सरकार के अधिवक्ता वी एस चौधरी ने कहा कि वह सीधी के पुलिस अधीक्षक को याचिकाकर्ता की शिकायतों पर गौर करने, उनकी जांच करने का निर्देश देंगे और यदि वास्तव में कोई खतरा है तो पुलिस अधीक्षक को आदेश की प्रमाणित प्रति प्राप्त होने की तारीख से सात दिनों के भीतर उसे दूर करने का निर्देश देंगे।
पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता का कहना है कि वह मझौली स्थित राजकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय में अतिथि प्राध्यापक (वाणिज्य) के रूप में कार्यरत है और महाविद्यालय प्रशासन ने उसे संघ की गतिविधियों में शामिल होने का निर्देश दिया था।
पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि संघ की विचारधारा याचिकाकर्ता की विचारधारा से मेल नहीं खाती और जब उन्होंने उनकी बात मानने से इनकार कर दिया तो उन्हें पीटा गया एवं धमकी दी गयी।
अदालती आदेश में कहा गया है, ‘‘उन्होंने (याचिकाकर्ता ने) पहले ही पुलिस अधीक्षक और संबंधित नगर निरीक्षक से शिकायत की है, लेकिन इन शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।’’
भाषा राजकुमार प्रशांत
प्रशांत
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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)