First Sawan Somwar 2023: Water offered to Lord Shiva : भोपाल। आज सावन का पहला सोमवार है। सावन के पहले सोमवार की शुरुआत भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना के साथ हुई। मौसम साफ रहने के कारण बारिश नहीं हुई। जिले के सभी शिवालयों पर जमकर भीड़ उमड़ी। सुबह से ही श्रद्धालुओं का मंदिरों में भीड़ उमड़ने लगी थी। श्रावण मास का पहले सोमवार शिवालयों में विशेष पूजा अर्चना के साथ भगवान शिव का रूद्राभिषेक हुआ। मान्यता है कि सावन के सभी सोमवार को व्रत रखना विशेष फलदायी होता है।
भोपाल के प्रसिद्ध मंदिर भोजपुर, गुफामन्दिर महादेव में भक्तों ने भगवान शिव को जल अर्पित कर पूजा अर्चना की। इस बार सावन 2 माह का होगा। मंदसौर जिले में भी सावन सोमवार के पहले दिन विशेष तैयारियां की गई। श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के पट सुबह 4 बजे से खोले गए। सुबह 4 बजे से मंगला आरती के साथ ही भक्तों ने दर्शन किए। सुबह से ही भक्तों के अनेवक सिलसिला जारी है। खंडवा जिले में आज सावन माह के पहले सोमवार में ओंकारेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिली। मंदिर में वीआईपी दर्शन पर पाबंदी लगा दी गई। मां नर्मदा में स्नान कर श्रद्धालु दर्शन कर रहे हैं। व्यवस्था में 450 से अधिक पुलिसकर्मी लगे।
जबलपुर जिले में पहले सावन सोमवार पर 76 फिट ऊंची शिव प्रतिमा की लोग पूजा कर रहे हैं। यह प्रतिमा कचनार सिटी के शिवधाम में है। मंदिरों में शिव भक्ति की भीड़ लग रही है। सोमवार को सुबह से ही यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु शिवजी पर जल चढ़ाने को लेकर मंदिर पहुंचे। मंदिरों में अनुष्ठान होंगे। वहीं ग्वालियर जिले में भी सावन के पहले सोमवार में शिवालयों पर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी। अचलेश्वर शिव मंदिर पर भीड़ लगी। अंचल का सबसे बड़ा और पुराना मंदिर है। बता दें कि इस मंदिर का इतिहास 400 साल पुराना है। मान्यता है कि सावन के सभी सोमवार को व्रत रखना विशेष फलदायी होता है। इस साल कुल 8 सावन सोमवार पड़ेंगे।
First Sawan Somwar 2023: Water offered to Lord Shiva : सावन हिंदू पंचांग के अनुसार पांचवां महीना है और यह अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार जुलाई-अगस्त के दौरान पड़ता है। भगवान शंकर को समर्पित सावन का महीना अत्यंत ही महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह भगवान शंकर का प्रिय महीना है। ऐसी मान्यता है कि जब भगवान विष्णु हरिशयनी या देवशयनी एकादशी पर विश्राम करने क्षीरसागर में चले जाते हैं तो इस दौरान समस्त ब्रह्मांड के पालन का दायित्व भगवान शिव स्वयं ले लेते हैं। सावन के महीने में भगवान शंकर की पूजा माता पार्वती के साथ करने से सभी प्रकार के मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और अनेक प्रकार की समस्याओं से मुक्ति भी मिलती है।