Feminism, mafia's, one leader, one post, all this is just a matter of saying?

निकाय की बिसात…अब ‘जिताऊ’ पर ही दांव! परिवारवाद, माफियावाद, एक नेता एक पद ये सब बस कहने की बात?

परिवारवाद, माफियावाद, एक नेता एक पद ये सब बस कहने की बात? Feminism, mafia's, one leader, one post, all this is just a matter of saying?

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:30 PM IST, Published Date : May 30, 2022/12:10 am IST

सुधीर दंडोतिया, भोपाल: one leader one post निकाय और पंचायत चुनाव 2023 विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल है। ये कांग्रेस और बीजेपी दोनों मानती है और इस चुनाव की अहमियत देखिए कि दोनों दलों के प्रत्याशियों की पहली और आखिरी योग्यता। यही है कि वो जिताऊ हो, अब विधायक का बेटा, विधायक की पत्नी हो या स्वंय विधायक हो। इससे मतलब नहीं रह गया, मतलब बस जीत से हैं। तो सवाल यहां पर ये हैं कि बातें बड़ी-बड़ी होती हैं। परिवारवाद, माफियावाद, एक नेता एक पद ये सब बस कहने की बात है, क्योंकि दोनों को मतलब जीत से हैं और माहौल बनाने से है।

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one leader one post मध्य प्रदेश में निकाय के चुनाव भले ही छोटे हो पर महापौर के लिए बड़े चेहरों ने दावेदारी शुरू कर दी है। खासकर मध्य प्रदेश के चारों महानगरों में शामिल भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में बेहद रस्साकसी दिखनी शुरू हो गई है। दरअसल बीजेपी संकेत दे चुकी है की वह विधायकों को भी महापौर के चुनाव में मैदान में उतार सकती है। इसकी वजह से बीजेपी में महानगरों के अलावा कई अन्य नगर निगमों में विधायकों की दोवदारी तेजी से बढ़ती दिख रही है।वंही कांग्रेस की और से खुद पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने यह कहकर इन चुनाव को दिलचस्प बना दिया है कि अगर कांग्रेस, विधायक या उनके परिवार में कोई भी व्यक्ति चुनाव जीतने लायक है तो उसे टिकट जरूर दिया जाएगा।

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माना जा रहा है कांग्रेस पहले ही इंदौर में अपने विधायक को कई माह पहले ही अघोषित रुप से प्रत्याशी तय कर चुकी है। दावेदार अपने राजनीतिक आकाओं के यहां हाजरी देने पहुंचने लगे हैं। कोई पार्टी कार्यालय की परिक्रमा कर रहा है तो कोई राजनीतिक स्तर पर अपने समीकरण बिठाने में लग गया है। खास बात यह है की इस बार भी बीजेपी व कांग्रेस के नेता अपने-अपने प्रदेश अध्यक्षों की परिक्रमा तो कर ही रहे हैं साथ ही कई अन्य प्रभावशाली नेताओं के दर पर भी दस्तक दे रहे हैं। दरअसल दावेदार चुनाव की तारीखों की घोषणा के पहले ही अपनी टिकट के लिए पूरी बिसात बिछा लेना चाहते हैं।

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मध्य प्रदेश के इंदौर और भोपाल के महापौर अब तक विधायकों पर भारी पड़ते रहे हैं। इसकी वजह से इन दोनों ही शहरों में सबसे अधिक दावेदारी सामने आ रहे हैं। यही वजह है कि इन दोनों शहरों में कई बड़े नेताओं की नजरें लगी हुई हैं। इसकी वजह है प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव में महापौर का पद व्यावहारिक रूप से विधायक से अधिक प्रभावशाली हो जाता है। इसी वजह से कांग्रेस ने इंदौर में विधायक संजय शुक्ला को टिकट दिया है। भोपाल में विधायक कृष्णा गौर का सियासी कद भी महापौर बनने के बाद ही बढ़ा था। आरक्षण के समीकरणों में यदि फिट बैठे तो कई बड़े नेता आने वाले दिनों में इस टिकट की जंग में कूदेंगे।

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