भोपाल। Face To Face Madhya Pradesh: लंबे इंतजार के बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने अपनी टीम घोषित की, लेकिन इससे पार्टी की मुसीबत और बढ़ गई..क्योंकि इस कार्यकारिणी की घोषणा के साथ ही शिकवा-शिकायत, असंतोष और इस्तीफे का सिलसिला चल पड़ा है सवाल है जीतू पटवारी जो भी करें उस पर हंगामा क्यों ? नई टीम पर बवाल वो भी ऐन उपचुनाव के दौरान इसके मायने क्या हैं, जबकि जीतू पटवारी के नेतृत्व को ऐसी चुनौती बार-बार मिल रही है तो कैसे वो पार्टी संगठन को आगे ले जाने का दावा कर सकते हैं ?
जीतू पटवारी की तैनाती के लगभग 10 महीने बाद कितनी मुश्किल से तो एमपी में कांग्रेस की कार्यकारिणी बनी थी, लेकिन सूची के बाहर आते ही नाराजगी, इस्तीफा और बयानों की ऐसी बमबारी हुई, कि एमपी कांग्रेस की कलह जगजाहिर हो गई और पटवारी की नई पलटन सवालों के घेरे में आ गई। सवाल साफ और सीधे हैं कि जिन लोगों के चलते मध्यप्रदेश में कांग्रेस की ये दुर्गति और दुर्दशा हुई है। उन्हीं के हाथों में फिर से पार्टी की कमान देने का क्या लॉजिक है ?पहली सूची का बवाल थमा भी नहीं था कि दूसरी सूची ने काम और बिगाड़ दिया। प्रदेश सचिव बनाए मोनू सक्सेना और अमन बजाज ने अपने पद से तुरंत इस्तीफा दे दिया। मुरैना के कद्दावर नेता रामलखन दंडोतिया ने नाराजगी जताई है। अजय सिंह राहुल और गोविंद सिंह पहले ही नाराजगी दिखा चुके हैं।
Face To Face Madhya Pradesh: यानी कोप भवन में बैठे नेताओं की नाराजगी वाले बयान और इस्तीफे वाले लेटर वायरल हो रहे हैं और कांग्रेस की फजीहत अलग जिस पर बीजेपी ने तंज भी कसा है।बीजेपी के तंज पर कांग्रेस ने भी पलटवार किया कि बीजेपी को अपने प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव पर ध्यान देना चाहिए न कि कांग्रेस के। कहां तो कांग्रेस नई कार्यकारिणी के साथ पार्टी को मजबूत करना चाहती थी और कहां तो सूची के सामने आने के बाद बिखराव और मनमुटाव शुरू हो गया है। एमपी में कांग्रेस के संगठन की स्थिति का आकलन किसी के लिए अब मुश्किल नहीं है, लेकिन सवाल ये है कि ये इस्तीफे, ये नाराजगी उन नेताओं का कांग्रेस के प्रति कंसर्न है या फिर निजी महत्वकांक्षा ?
भारत के साथ अपनाए गए दृष्टि पत्र को पूरी तरह…
10 hours ago