छतरपुर। Bhimkund Ka Rahasya in Hindi : मध्यप्रदेश के छतरपुर में स्थित भीमकुंड अपनी सुंदरता और रहस्यमयी इतिहास कि वजह से पर्यटकों के बीच खास आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यह कुंड छतरपुर जिले से करीब 70 किमी दूर बाजना में मौजूद है। इस भीमकुंड में देश-विदेश से विशेषज्ञ आते है खोज करने के लिए और उन सारे सवालों के जवाब खोजने जो सालों-सालों से इस अद्भुत कुंड में समाए हुए हैं। इस कुंड से कई ऐसे चौंका देने वाले राज जुड़े हुए हैं जिन्हें जानकर आप भी दंग रह जाएंगे।
Bhimkund Ka Rahasya in Hindi : आपको बता दें की इस कुंड की गहराई का अभी तक कोई भी पता नहीं लगा पाया है। कई एक्सपर्ट्स की टीमें, विशेषज्ञ, मीडिया से जुड़े लोग ने भी भीमकुंड के बारे में खोजबीन कर पता लगाने की कोशिश की है लेकिन कोई निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाए। कई बार प्रशिक्षित गोताखोरों ने भी भीमकुंड के तल तक जाने का प्रयास किया लेकिन 250-300 मीटर तक जाने के बाद सतह पर आ गए। गोताखोरों ने इस दौरान बताया है की कुंड के नीचले स्तर पानी का बहाव बहुत तेज है, इससे यह भी अंदाजा जताया जा सकता है की शायद भीमकुंड किसी जलस्रोत से जुड़ा हुआ हो सकता है।
इसी के साथ भीमकुंड के पानी का नीला रंग भी आश्चर्य का विषय बना हुआ है। कुंड के बारे में कहा जाता है की इसके समुद्र से जुड़े होने के कारण जल का रंग नीला है। साथ ही स्थानीय लोगों के मुताबिक भीमकुंड का पानी अपने आप ही साफ हो जाता है। कुंड में त्योहारों के समय स्नान करने के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है जिससे की साबुन का झाग भी रह जाता है लेकिन कुछ ही वक्त में पानी पुरा साफ हो जाता है। वर्तमान में कई घटनाओं के वजह से कुंड में नहाने को बैन कर दिया गया है।
भीमकुंड से जुड़ी पौराणिक कथाएं भी हैं। ऐसी मान्यता है कि महाभारत के समय जब पांडवों को अज्ञातवास मिला था तब वे यहां के घने जंगलों से गुजर रहे थे। उसी समय द्रौपदी को प्यास लगी। लेकिन, यहां पानी का कोई स्रोत नहीं था। द्रौपदी व्याकुलता देख गदाधारी भीम ने क्रोध में आकर अपने गदा से पहाड़ पर प्रहार किया। इससे यहां एक पानी का कुंड निर्मित हो गया। कुंड के जल से पांडवों और द्रौपदी ने अपनी प्यास बुझाई और भीम के नाम पर ही इस का नाम भीम कुंड पड़ गया।
इसके आलावा इस कुंड को नील कुंड या नारद कुंड के नाम से भी जाना जाता है। बताते हैं कि एक समय नारदजी आकाश से गुजर रहे थे, उसी समय उन्हें एक महिला और पुरुष घायल अवस्था में दिखाई दिए। उन्होंने वहां आकर उनकी इस अवस्था का कारण पूछा तब उन्होंने बताया कि वे संगीत के राग-रागिनी हैं। वे तभी सही हो सकते हैं, जब कोई संगीत में निपुण व्यक्ति उनके लिए सामगान गाए।
नारदजी संगीत में पारंगत थे। उन्होंने उसी समय सामगान गाया जिसे सुनकर सारे देवतागण झूमने लगे। विष्णु भगवान भी सामगान सुनकर खुश हो गए और एक जल कुंड में परिवर्तित हो गए। उनके रंग के जैसे ही इस कुंड का जल नीला हुआ तभी से इसे नीलकुंड भी कहा जाने लगा।
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