Dhaar kee Bhojashaala: What is the history of this Bhojashaala...

Dhaar ki Bhojashaala : क्या है इस भोजशाला विवाद का इतिहास, ASI के सर्वे के बाद हिन्दू समाज अब चला रहे है यह अभियान

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Reported By: Amit Verma

Modified Date: January 21, 2025 / 02:53 PM IST
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Published Date: January 21, 2025 2:52 pm IST

धार : Dhaar ki Bhojashaala धार नगरी की ऐतिहासिक भोजशाला में ASI के सर्वे के बाद इसे हिंदू समाज को सौंपने की मांग उठा रही है।भोज उत्सव समिति द्वारा जिले भर मे अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के अंतर्गत ज्यादा से ज्यादा लोगों को हर मंगलवार को भोजशाला में होने वाले सत्याग्रह में जोड़ने का अभियान चलाया जा रहा है। और बसंत पंचमी पर होने वाले आयोजन की तैयारीबी भी कर रही है। समिति का मानना है कि जिले के हर वर्ग तक निचले स्तर पर जाकर भोजशाला के ऐतिहासिक गौरव की गाथा बताया जा रहा है। इसके बाद और भी कई लोग भोजशाला मुक्ति आंदोलन में सत्याग्रह से जुड़ेंगे। साथ ही आगामी 3 फरवरी को बसंत पंचमी का उत्सव भी भव्य रूप से मनाने की तैयारी की जा रही है।

Dhaar ki Bhojashaala आपको बता दें कि भोजशाला की मुक्ति और उसके गौरव की पुनर्स्थापना के लिए 4 फरवरी सन् 1991 प्रति मंगलवार को भोजशाला मे अखंड सत्याग्रह किया जा रहा है। इसमें हनुमान चालीसा का पाठ और मां- वाग्देवी सरस्वती की आराधना की जाती है। समिति की मंशा अनुसार अब इसमें शहर के साथ ही ग्रामीण अंचल के लोगों की सहभागिता बढ़ाने की कवायद की जा रही है। धार जिलेभर में अभियान को लेकर बैठकों का दौर चल रहा है। भोजशाला आंदोलन से जुड़े गोपाल शर्मा और सुमित चौधरी ने बताया की इस अभियान को लेकर तहसील स्तर पर अलग-अलग टोलियां काम कर रही हैं। इसके साथ ही सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म खासकर X पर भी अपनी मांगों को लेकर ट्रेंड करवाने का प्रयास किया जाएगा। जिसके लिए इंटरनेट मीडिया पर सक्रिय स्थानीय लोगों की एक बैठक भी की जाएगी।

Dhaar ki Bhojashaala दरअसल भोजशाला का दूसरा पहलू यह भी है कि यहां पर मुस्लिम पक्ष भी अपना दावा करता है वही हिंदू समाज भोजशाला पर अपना अधिकार जताता है। जिसमें शासन की व्यवस्था अनुसार प्रति मंगलवार हिंदू समाज भोजशाला में हनुमान चालीसा का पाठ और मां वाग्देवी सरस्वती का पूजन और भजन कीर्तन करता है। वहीं प्रति शुक्रवार को मुस्लिम समुदाय के लोग जुम्मे की नमाज अदा करते हैं। विवाद की स्थिति तब बनती है जब बसंत पंचमी और शुक्रवार एक ही दिन रहता है। ऐसे में प्रशासन के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी हो जाती है। सुरक्षा की दृष्टि से पूरा शहर पुलिस छावनी के रूप में तब्दील हो जाता है। हालांकि भोजशाला की देखरेख और संरक्षण पुरातत्व सर्वेक्षण करता है। यहां आपको यह भी बता दें कि हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस के माध्यम से हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में याचिका दायर की गई थी। जिसमें भोजशाला पर हिंदू समाज को पूरा अधिकार देने की मांग की गई थी। हाई कोर्ट के आदेश के बाद ही बीते साल 2024 में लगभग 98 दिन तक पुरातात्विक और वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया गया था। इसके बाद एएसआई ने सर्वेक्षण रिपोर्ट हाई कोर्ट में प्रस्तुत कर दी है।

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भोजशाला में कौन से धार्मिक आयोजन होते हैं?

भोजशाला में प्रति मंगलवार को हिंदू समाज द्वारा हनुमान चालीसा का पाठ, मां वाग्देवी सरस्वती का पूजन और भजन कीर्तन होते हैं, जबकि शुक्रवार को मुस्लिम समुदाय जुम्मे की नमाज अदा करते हैं।

भोजशाला पर किसका दावा है?

भोजशाला पर हिंदू समाज और मुस्लिम समुदाय दोनों का दावा है। हिंदू समाज इसका धार्मिक स्थान मानता है, जबकि मुस्लिम समुदाय इसे एक मस्जिद के रूप में इस्तेमाल करता है।

भोजशाला मुक्ति आंदोलन क्या है?

भोजशाला मुक्ति आंदोलन में हिंदू समाज भोजशाला को अपने अधिकार में लेने की मांग कर रहा है। इसके तहत सत्याग्रह आयोजित किए जाते हैं और हर मंगलवार को हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता है।

भोजशाला के विवाद का कारण क्या है?

भोजशाला के विवाद का कारण है कि यहां दोनों समुदायों के धार्मिक आयोजनों की तारीखें आपस में टकराती हैं, जैसे जब बसंत पंचमी और शुक्रवार एक ही दिन पड़ते हैं। इस स्थिति में प्रशासन को सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखनी पड़ती है।

भोजशाला के सर्वेक्षण की रिपोर्ट कब और किसने प्रस्तुत की थी?

भोजशाला का वैज्ञानिक और पुरातात्विक सर्वेक्षण 2024 में हुआ था। इसके बाद एएसआई ने सर्वेक्षण रिपोर्ट हाई कोर्ट में प्रस्तुत की थी।
 
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