gotmar fair: छिंदवाड़ा। छिंदवाड़ा पांढुर्ना का विश्व प्रसिद्ध गोटमार मेला शनिवार को मां चंडी की पूजा अर्चना के साथ शुरू हो गया। यहां सुबह 7 बजे पहले पांढुर्णा और सावरगांव पक्ष के लोगों के द्वारा पहले मां चंडी देवी की पूजा अर्चना की गई। उसके बाद नदी में पेड़ के साथ झंडा लगाया गया और पूजा के साथ यहां गोटमार शुरू हो गया। मराठी भाषा में गोटमार का अर्थ पत्थर मारना होता है।
gotmar fair: मेले को देखने के लिए काफी संख्या में है लोग पांढुर्ना पहुंच गए हैं। वहीं भारी पुलिस बल भी यहां तैनात है। जाम नदी के दोनों ओर लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा है और ढोल – बाजे के साथ सावरगांव और पांढुर्णा पक्ष के लोग एक दूसरे को पत्थर मारकर मेले की शुरूआत की।
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gotmar fair:पोला पर्व के साथ ही पांढुर्ना में शुक्रवार को देर शाम को गोटमार शुरू हो गया था। जिसमें कुछ लोग पत्थर मारते नजर आए। इस दिन काफी उत्साह देखने को मिला। लेकिन इस दौरान खूब उन्माद हुआ दोनों तरफ से जमकर पत्थर चले। पत्थरबाजी में दोनों तरफ के 26 लोग घायल हुए है जिनमें से एक की हालत नाजुक है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सभी घायलों का इलाज जारी है।
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gotmar fair: छिंदवाड़ा के पांढुर्णा के मुख्यालय में गोटमार मेला नाम से एक अनूठा मेला हर साल भाद्रपद अमावस्या के दूसरे दिन मनाया जाता है। यह मेला ‘जाम’ नदी के तट पर मनाया जाता है। जिसमें एक लंबे पेड़ को नदी के बीच में एक झंडे के साथ खड़ा किया जाता है। गांवों के निवासी ‘सावरगांव’ और ‘पांढुर्ना’ नदी के दोनों किनारों पर इकट्ठा होते हैं, और एक दूसरे के उपर पथराव करते हैं। इसी दौरान नदी के बीच पेड़ के तने के ऊपर जाकर झंडा हटाने की कोशिश करते हैं। जिस गांव का निवासी झंडा हटाने में सफल होता है, उसे विजयी माना जाएगा। पूरी गतिविधि मां दुर्गाजी के पवित्र नाम के जप के बीच होती है।
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