भोपाल: सियासी दलों के लिए एक-एक सीट पर जीत कितनी मायने रखती है, ये इन दिनों प्रदेश में दोनों प्रमुख दलों की चुनावी तैयारी देखकर साफ हो जाती है। दमोह सीट पर उपचुनाव में मिली जीत के बाद जहां कांग्रेस पार्टी उसी फॉर्मूले पर कार्यकर्ताओं को रिचार्ज कर बूथ पर मुस्तैद करने में जुटी है, तो दूसरी तरफ मजबूत स्थिति में सरकार चला रही भाजपा भी दमोह की हार से सबक लेकर आने वाले उपचुनावों में कोई कसर नहीं छोड़ रही। इसके लिए के दौरे, जनदर्शन से लेकर जनसभाओं तक इलाके को विकास की सौगात भऱी घोषणाओं से मंच पर लापरवाह अफसरों को फटकार तक। हर मोर्चे पर पार्टी पूरा जोर लगाती नजर आ रही है। बड़ा सवाल है चुनाव से पहले उपचुनाव में इतनी तैयारी के बाद कौन-कितना कामयाब हो पाता है?
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मध्यप्रदेश में उपचुनाव की तारीखों का भले ही ऐलान न हुआ हो पर सीएम शिवराज ने अघोषित प्रचार की शुरुआत कर दी है। सीएम शिवराज जनदर्शन कार्यक्रम के जरिये जनता से मिल रहे है और क्षेत्र में करोड़ों रुपए की सौगातों की बारिश भी हो रही है। सीएम ने अब तक सतना के रेगांव और पृथ्वीपुर सीट पर जनदर्शन यात्राएं की है। इस दौरान सीएम शिवराज सिंह चौहान का नायक वाला अवतार देखने को मिल रहा है। सीएम न केवल अधिकारियों को मंच बुलाकर क्लास लगा रहे है बल्कि उनके इस रूप पर जनता की तालियां भी बटोर रहे है।
सीएम शिवराज की जनदर्शन यात्रा उन क्षेत्रों में हो रही है जहां उपचुनाव होने हैं, लिहाजा यात्रा को लेकर सियासत भी शुरु हो गई है। जनदर्शन पर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सवाल उठाते हुए ट्वीट किया कि मुख्यमंत्री शिवराज जनदर्शन यात्रा करें, अपने दर्शन जनता को दें, हमें आपत्ति नहीं है, पर उनका जनदर्शन कार्यक्रम उन क्षेत्रों में हो रहा है, जहां आगामी समय में उपचुनाव होना है। बेहतर हो, वो अपना जनदर्शन उन क्षेत्रों में भी दें, जहां जनता बेसब्री से उनके दर्शनों को आतुर है। प्रदेश में जहां-जहां जहरीली शराब से मौतें हुई हैं, वहां उनके दर्शनों की जरूरत है, लेकिन शिवराज वहां नहीं जा रहे हैं. प्रदेश के नेमावर, नीमच और खरगौन में आदिवासियों पर दमन और हत्या की घटनाएं हैं, वहां पीड़ित परिवार उनके जनदर्शन की उम्मीद के साथ इंतजार कर रहा है। कांग्रेस सरकार के खाली खजाना होने के बाद भी जनदर्शन में सीएम की करोड़ों रुपए की घोषणाओं पर भी सवाल उठा रही है। हालांकि बीजेपी भी कांग्रेस को जवाब देने में पीछे नहीं है।
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जाहिर है मध्यप्रदेश में होने वाले उपचुनाव बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती है, सरकार बनने के बाद हुए 26 सीटों पर उपचुनाव ने शिवराज को बहुमत तो दिलाया पर दमोह चुनाव में मिली हार ने बीजेपी सरकार की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं। वहीं इन इलाकों में करोडों के विकास कार्य और घोषणाओं के जरिये बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश है। लेकिन जनदर्शन में सीएम शिवराज के नायक स्टाइल पर जनता की तालियां वोट में कितना तब्दील होती है? ये बड़ा सवाल है।
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